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Tag Mohammed Badiuzzaman

“CALL ALL PEOPLE TO PILGRIMAGE”: “اذن بالناس”

Post of 29 June 2023 جذبِ حرم سے ہے فروغ انجمنِ حجاز کااس کا مقام اور ہے، اس کا نظام اور ہے मोहम्मद बदिउज़्ज़मॉ साहेब ने अपनी किताब “इकबाल की जोग़राफियाई और शख़्सियतओं से मंसूब इस्तलाहात” में इक़बाल के हिजाज़… Continue Reading →

“हज़ारो साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पर रोती है
बडी मोशकिल से होता है चमन मे दिदह वर पैदा”

Post of 16 February 2022 “हज़ारो साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पर रोती हैबडी मोशकिल से होता है चमन मे दिदह वर पैदा” यह शेर ईक़बाल की नज़म “तुलुऐ इस्लाम” का एक बंद है जिस को मोहम्मद बदीउज़्ज़मॉ साहेब ने अपनी… Continue Reading →

“IT IS HISTORIC DAY FOR AFGHANISTAN: IT IS GOOD LESSON FOR EVERYONE AND NEXT GENERATIONS”

Post of 31st August 2021 توحید کی امانت سینوں میں ھے ھمارےآساں نہیں مٹانا نام و نشاں ہمارا (اقبال) हम लोगो ने ज़हीरउद्दीन बाबर की फ़तह नही देखी, मगर जो नस्ल अभी है उस ने अफगानी लोगो के जद्दोजहद का… Continue Reading →

“अमल से ज़िन्दगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भीये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है”

Post of 27th July 2021 “अमल से ज़िन्दगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भीये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है” इक़बाल का यह शेर उन की नज़म “तुलूए इस्लाम” का एक बंद है। मोहम्मद बदिऊज्जमॉ साहेब… Continue Reading →

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