Post of 27 July 2021 “अमल से ज़िन्दगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भीये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है” इक़बाल का यह शेर उन की नज़म “तुलूए इस्लाम” का एक बंद है। मोहम्मद बदिऊज्जमॉ साहेब… Continue Reading →
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