Post of 25th December 2021

यह बात बहुत अफसोस के साथ लिखना पड रहा है कि ईरान जिस के पास दुनिया का दूसरा बडा तेल भंडार है और जो न्यूक्लिअर पावर और बैलेसटिक मिजाईल छोड़ने का दावा करता है वह श्रीलंका से #तेल के बदले #चाय लेने पर मजबूर हो गया है।

रावण का प्राचीन देश जो कभी वसुधैव कुटुम्बकम था, जिस की आबादी 2.2 करोड है और जहॉ 65% बूद्धिष्ठ हैं वह आज कल $65 billion का क़र्ज़दार है जिस मे $35 billion विदेशी क़र्ज़ा है।श्री लंका की investment ratings junk CCC है।भारत का BBB (-) है।अगले साल से श्रीलंका को $4.5 billion हर साल क़र्ज़ा वापस करना है।

लंका 340 million Kg चाय हर साल पैदा करता है और पिछले साल $2.4 billion का चाय निर्यात किया था। ईरान को $250 million तेल का पैसा वापस करना है जो ट्र्म्प के ईरान पर सैंगशन्स के कारण कैश नही दे पा रहा है।

आखिर झक मार कर ईरान के राषट्रपति रईसी साहेब ने $250 million पैसा के बदले हर महीना श्री लंका से $5 million का चाय लेने को तैयार हो गये, यानि चार साल मे चाय से तेल का पैसा वापस होगा।इस सौदा से ईरान और श्री लंका दोनो को घाटा है।

ईरान को विदेशी मुद्रा नही मिले गा और लंका मे चाय बगान वालों को भी निर्यात से विदेशी मुद्रा नही मिले गा और वह लोग प्लांट, मशीनरी, खाद, कीटनाशक वगैरह विदेश से आयात नही कर पाये गें।ईरान और लंका दोनो की अर्थव्यवस्था तबाह है।

लंका को अब चीन के सामने दंडवत करना होगा और चीन को जमीन और बंदरगाह देना होगा।लंका के पास कोई दूसरा रास्ता नही है।

अंतोगत्वा अब ईरान को अफ्रिका, यमन, सिरिया, इराक़, लेबनान मे परौकसी या आतंक बंद कर मुस्लिम देशो के साथ चलना होगा या न्यूकिल्यर प्रोग्राम को छोड कर अमेरिका के सामने दंडवत करना होगा। ईरान के पास अब कोई दूसरा चारा नही है।

ईरान के लिए साल 2022 “make or break” होगा

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Mohammed Seemab Zaman ईरान के संघीतकारो को एक ज़िद है कि हम दुनिया मे एक अलग पहचान बना कर विश्वगुरू हो जाये गें। न भारत के संघीतकार इस मे कामयाब हुऐ और न ईरान के संघीतकार इस मे कामयाब हुऐ। दोनो एक दूसरे से चाबहार का नाटक कर कभी कामयाब नही होंगे। इमरान खॉन ने “जिव पोलिटिक्स” तुर्की, मिडिल ईस्ट का साथ दे कर बदल दिया है। अब 2022 के बाद ओमान के नये बादशाह ओमान को दूसरा महत्वपूर्ण देश बनाने की कोशीश करे गे, गरचे उन के पास आबादी सिर्फ 50 लाख है।

  • Anish Akhtar पाकिस्तान कितना भी निकृष्ठ, निकम्मा हो लेकिन कभी कभी लगता है कि कप्तान जियो पोलिटिक्स में बहुत तेज है… विदेशी मीडिया हाऊस को दिया उसका हर इंटरव्यू तहलका खेज होता है..

Abuzar Qureshi बहुत दिनों बाद ईरान के सापेक्ष कोई पुख्ता न्यूज मिली ।बहुत खूब लिखा सर जी की अब मुस्लिम देशों के साथ चले या फिर अमेरिका के लिए न्यूकिलियर पावर छोड़े ।

Jitendra Singh ई बताइए कि इहा के विश्वगुरु का दाढ़ी कब मुड़ाएगा??

  • Mohammed Seemab Zaman दाढी मुड चूका। देखा नही जो आदमी आंख के बदले आंख निकालता था वह अब गौ माता बोलने लगे।

Lalit Mohan ईरान प्राचीन काल से सांस्कृतिक विरासत का केंद्र है।हार तो नही मानेगा,सऊदी अरब की तरह वे भी अपनी प्रशासनीय गतिविधियों, कानूनों को चीन और रूस के सहयोग से जरूर बदलेगा या मजबूरी वश हर हाल में उसे बदलना ही पड़ेगा।ओस्मेनिया सल्तनत के शासकों के भी प्रतिबंध के 100साल पूरे हो चुके है।उनके भी राजनेतिक फायदा व नुकसान विश्व राजनीति में हवा के रुख को बदलेंगे ही।अफ्रीका जैसे जैसे आधुनिक होता जाएगा,चीन और एशिया में अर्थव्यवस्था यूरोप जैसे संभ्रत शैली में बदल जायेगी।एशिया से भारी संख्या में पर पीस असेंबल वाली सस्ती मजदूर फौज चीन और एशिया को अफ्रीका में मिलने लगेगी।अगर ईरान को बदलना है,तो साफ है। अमेरिका को भी बदलना होगा।भारत के लिए भी मजबूरी वश बदलने के अलावा कोई चारा नहीं है।

Kamil Khan ईरान की घरेलू राजनीत सऊदी अरब और अमेरिका के विरोध पर टिकी हुई है ऐसे में ईरान किस मुंह से अमेरिका या सऊदी अरब से अपने सम्बंध दुरुस्त कर सकेगा

  • Anish Akhtar अब विरोध से दुनिया नही चलती संबंध सुधारने ही होंगे.

Md Shahid सर, ये जो यूएस ने जेम्स वैब टेलिस्कोप अंतरिक्ष में स्थापित किया है, ये चीन की पिछली अंतरिक्ष एक्टिविटी का जवाब है?

  • Mohammed Seemab Zaman इस पर 1990 से काम हो रहा था। इस का रिजल्ट एक साल बाद आये गा। हो सकता है यह कोई दूसरी दुनिया का खोज कर ले।

Anish Akhtar ईरान फंस चुका है ये ना तो प्रॉक्सी खत्म करेगा ना ही न्यूक्लियर डील में अपनी जिद छोड़ेगा..इसमे भी कोई क्रांति फिर होगी..

  • Mohammed Seemab Zaman आप ने लिख दिया क्रांति। हम को भी क्रांति होगा इस की उमीद है। बेगैर क्रांति के हालत सुधरने वाला नही है।

Arham Zuberi सही फंसा