FB Post of 9th April 2019
“सेकलुरिजम अकेले मुस्लिम क़ौम की ज़रूरत नही है बल्कि “भारत-माता” के लिए ज़रूरी है”
आज़ादी के बाद से उत्तर भारत जिस की आबादी 70-75 करोड़ है उस को क्या मिला? 70 साल से एक “गिरोह” है जो हर जगह दंगा-फ़साद किया मुस्लिम तुष्टीकरण के नाम पर। वह तो भला हो भारतीय समाज का जो आज तक टूटा नही, वही भाईचारा बना कर रखा दंगा-फ़साद के बाद भी।ईस के लिए भारतीय बहुसंख्यक समाज को बधाई।
भगवान ने उस “छोटे से गिरोह” को 2014 मे सत्ता दे दिया, वह गिरोह के सरदार लोग 135 देश घुमे मगर किसी ने एक डालर ($) का निवेश नही किया। डा० मनमोहन सिंघ के समय मे जो वादा भी था वह भी नही आया।
आज हालत यह है कि $680 billion से अधिक का क़र्ज़ पॉच साल मे हो गया जिस मे आधा डालर ($) मे है। यह क़र्ज़ पिछले चार साल (2014-2018) मे 50% बढ़ा है। यह क़र्ज़ भारत के GDP (6.7) का 70% है। पिछले 10 साल मे मन्दी के कारण भारतीय रूपया $ terms मे 50% गिर गया। आज दुनिया की सब से कमज़ोर currency बडे देशों मे भारत की है।
घरेलू बचत अपने न्यूनतम स्तर पर है। बैक का NPA (non-performing asset) तो अब भारत के बजट को छू रहा है। वह पुराने उद्योगपति टाटा, महिंद्रा, बिरला, गोदरेज है जो ईजजत बची है।
अगली सरकार कुछ नही कर सके गी अगला पॉच साल मुस्लिम देशों के निवेश के बिना। तो क्यों नही ईसी संघी गिरोह को रखा जाय जो 70 साल मुस्लिम तुष्टीकरण के खेलाफ थी वही बदली हुई अन्तरराष्ट्रीय शक्ति का देश मे “हँसते खिलखिलाते” स्वागत करे ताकी इस के 70 साल के झुट का परदा फ़ाश हो और इस गिरोह के Fascism से लोग को नजात मिले। फिर कोई राम मन्दिर, uniform civil code, कश्मीर का धारा 370, गाय-गोबर, मुस्लिम तुष्टीकरण का झूठा नारा न दे।फिर एक नया भारत बने जो अगले 30-35 साल बाद चीन से टक्कर ले।
(तसविर: 3.03.19, इस्लामिक औरगेनाईजेशन कानफरेनस (OIC) दुबई। सऊदी अरब के विदेशमन्त्री ईबराहिम अल असाफ और सुषमा स्वराज)