Hindi translation of English Post
पिछले दो दशकों ने यूरोपीय और अमेरिकी शक्तियों के 19वीं और 20वीं शताब्दी के इतिहास को बदल दिया है। कोरोना संकट ने पूंजीवाद की असफलता, मिडिल इस्ट और अफ्रीका में पश्चिमी शक्तियों की गलतियों को उजागर कर दिया।
दो सौ साल बाद, 21वी शताब्दी मे एशिया का विश्व राजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में फिर से जन्म हुआ है। 2021 एशियाई शताब्दी की वास्तविक शुरुआत को विशेष रूप से मिडिल इस्ट और पूर्वी एशिया (चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम) चिह्नित करेगा।मानवाधिकार के नाम पर 40 साल से मार-काट और आतंक फैलाने वाले यूरोप और अमेरिका “मिस्टर नो व्हेयर” (Mr NoWhere) हो जाये गें।
मिडिल इस्ट और चीन, मेधावी छात्रों की क्षमता और काम करने वाली सरकार में विश्वास करते हैं। भारत के विपरीत, चीन, जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और तुर्की में साधारण या औसत दर्जे के नौकरशाही की शासन में कोई जगह नहीं होती है।
पिछले चालीस साल से भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक और मिस्र में अयोग्य राजनेताओं और सिविल सर्वेंट्स के कारण खराब शासन रहा है।
1990 में, चीन और भारत की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में समानता था लेकिन चीनी जीडीपी हर चार या पांच साल में दोगुनी हो गई और 1996 में $1.0 ट्रिलियन को छू लिया। इसके 22 वर्षों के बाद भारत 2.5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन गया, जबकि चीन की 13 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हो गई।
भारत 1995 तक चीन से कुछ आयात नहीं करता था, लेकिन आज भारत के कुल आयात का 23% ($90 बिलियन) चीन से सामान आता है, जिसमें “चीन के जूते भी शामिल हैं”
चीन ने 2035 तक 5 लाख आबादी वाले हर शहर को हाई स्पीड ट्रेन से जोड़ने का फैसला किया है। 2021 में चीन के विकास की वृद्धि (जीडीपी) दर लगभग 8-9% होगी, जिसका अर्थ है कि चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2019 से पहले के बराबर होगी।दि इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) ने भविष्यवाणी की है कि 2021 में चीन की जीडीपी $15.8 ट्रिलियन होगी, जो अमेरिका के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो गी और 2028 तक अमेरिका से बडी हो जाएगा। कल, ब्रिटेन दुनिया की 5वीं बड़ा अर्थव्यवस्था बन गया और भारत दुनिया में 6वें स्थान पर आ गया।
2021-22 मे जापान, जर्मनी या अमेरिका जैसी कोई दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की तरह नहीं उबर पाएगी।2021 में दुनिया चीन के नेतृत्व में हो गी और मिडिल इस्ट, तुर्की, मध्य एशियाई देशों और रूस द्वारा समर्थित होगी।
21वी सदी मे जैसे-जैसे पश्चिमी प्रभुत्व समाप्त होगा, एशियाई सदी बाकी दुनिया के लिए अधिक खुशहाल और आरामदायक होगी।