मोहम्मद बदिऊज्ज़मॉ साहेब ने अपने इक़बाल के इस्तलाह वाली किताब “ईक़बाल की जोग़राफिआई और शख़्सियतयो से मनसूब इस्तलाह” मे लिखते हैं कि “1876 दुनिया के तारीख़ मे खास कर यूरोप के तारीख़ मे “कट ऑफ डेट” की हैसियत रखता है। इसलिये यह साल अगले डेढ सौ (150) सालो तक यूरोप के हाथो मिडिल ईस्ट, अफ्रिका के मुस्लिम देशो के लिये बरबादी के अहमियत का हामिल है।1876 से WWI (1914-1918) तक यूरोप ने मुस्लिम देशो का बंदर बॉट किया”
“रूमानिया पर सलतनत उसमानिया की हकूमत 1504 से तीन सौ सालो तक रही, बुल्गारिया पर कब्जा 1396 से 1876 तक रहा।योगोसलाविया जो 1991 तक 6 देशो का संगठन था सर्बिया और मेंटोनेगरो पर 1371 से 1878 तक तुर्कों की हकूमत रही। सिर्फ स्लोवाकिया पर मुस्लिम हकूमत नही रही”
ज़मॉ साहेब ने ईक़बाल के एक शेर के तशरीह मे लिखा है कि “फलस्तीन को 1516 मे तुर्कान् उसमानिया ने कब्जा कर के अपने सलतनत मे मिला लिया जिस को ब्रिटेन ने WWI के दौरान 9 December 1917 को सलतन्ते उसमानिया से छीन कर अपनी हूकूमत क़ायम कर लिया। ब्रिटेन ने इराक़ पर कब्जा 1920 में कर लिया जो 1932 तक रहा। सिरिया पर फ्रांस का कब्जा 1920 से 1946 तक रहा”
उसी तरह से फ्रांस, जर्मनी, डच, पोरटोगल, ईटली वहैरह ने अफ्रिका के देशो को कोलोनाईज़ (Colonise) कर लिया और प्रतिरोध (Resistance) करने पर जुल्म और नरसंहार करते रहे।यूरोपियन देशो का यह सब मार काट का सिलसिला WWII (1939-1945) मे यूरोप मे यहूदियो के नरसंहार (genocide) तक चला और अफ्रिका मे 1960 तक चला।अमेरिका 1955 से 1975 तक वैटनाम मे ख़ून की होली खेलता रहा। रूस के President Stalin 1953 तक यहूदी, कजाक, चेचन के ख़ून से होली खेलते रहे। रूस ने तो बुल्गारिया के तुर्क मुसलमानो पर 1984-1989 मे भी जुल्म किया।
रशीद ख़ालिदा अपने किताब “The Hundred Years’ of War on Palestine” मे लिखते हैं “फलस्तीन मे 1880 से यहूदियो का बसना यानी settle होना शुरू हुआ था।1917 मे ब्रिटेन के लौर्ड बिलफोर ने ब्रिटिश पार्लियामेंट मे यह ऐलान कर दिया के ब्रिटिश शहंशाह फल्सतीन मे एक आजाद यहूदी मूल्क के केयाम को पसंदिदगी के नजर से देखता है। बाकी तो लोगो को मालूम है यह May 1948 मे इसराईल के नाम से मूल्क वजूद मे आ गया।आगे जारी ……