सितंबर के पहले सप्ताह से अरब देशों में नया तालीमी साल, शिक्षण सत्र शुरू होता है जो अब करीब है

इसी को देखते हुए कल यानी 16 अगस्त को जुमा के खुतबा में तालीम व तरबियत और उस की अहमियत पर रोशनी डाली गई जिस के कुछ हिस्से यहां पेश हैं

मक्का की मस्जिदे हराम में खुतबा देते हुए इमामे हरम प्रोफेसर डाक्टर यासिर बिन राशिद अल दौसरी ने फरमाया कि

  • अपने बेटे और बेटियों की ऐसी तरबियत करो कि वह इल्म, शिक्षा से मोहब्बत और उलमा की कद्र करने लगें और उन्हें सिखाओ कि अदब इल्म से पहले एक बुलंद और ऊंचा स्थान रखता है.
  • इल्म दिलों की जिंदगी और अक्ल व नज़र की रोशनी है इस के जरिये अल्लाह की इताअत और इबादत की जाती है उस का ज़िक्र और हम्द बयान किया जाता है इस के द्वारा रिशतेदारियां निभाई जाती है और हलाल व हराम को पहचाना जाता है इल्म का हासिल करना अल्लाह की कुरबत व इल्म को काम में लाना सदका और इल्म को पढ़ना पढ़ाना इबादत है
  • बेशक कुरआन व सुन्नत के इल्म पर तमाम दूसरे इल्म की बुनियाद है शरीयत के माहिर उलमा ही अंबियां के वारिस हैं
  • शिक्षा से शान व शौकत की बुनियाद डाली जाती है सभ्यता का निर्माण किया जाता है और कौमों के नेतृत्व की सलाहियत हासिल की जाती है किसी भी कौम में जहालत व अशिक्षा फैलते ही उस की बुनियादें हिल जाती हैं और इमारत ढह जाती है
  • ज्यादा से ज्यादा उस इल्म को हासिल करो जो लाभकारी हो उस ज्ञान को प्राप्त करो जो अफजल हो उस अख़लाक़ को अपनाओ जो मुकम्मल हो और अपने रब के तरीके पर जम जाओ जिस से तुम्हारी जिंदगी में सुधार हो जाए तुम्हारे दिल पाक हो जाएं और तुम अपने रब की रज़ा हासिल करने में कामयाब हो जाओ
  • शिक्षा एक पैगाम है और तुम (शिक्षक) पैगाम बर हो अल्लाह के बाद तुम्हारी तरफ लोगों की उम्मीदें हैं लोग तुम्हारे पास आते हैं नई जनरेशन के मस्तिष्क तुम्हारे हाथों में हैं उन्हें लाभकारी शिक्षा से मालामाल कर दो
  • ऐ इल्म व नूर के चिरागों (शिक्षक गण) तुम्हारे नबी तालीम देने में गलतियों को इग्नोर करने वाले नरम दयालु और हमदर्द थे तुम भी (इल्म को) आसान करो उसे मुश्किल न बनाओ और विधार्थियों को करीब करो उन्हें दूर न करो

अनुवाद – : Khursheeid Ahmad