Post of 26 July 2022
रूस ने आज कहा है कि वह दो दिन बाद यूरोप को गैस देना कम कर दे गा जिस के वजह कर आज यूरोप मे हहाकार मचा है, हंगामी इजलास हो रहा है।यूरोपियन यूनियन (EU) को समझ मे नही आ रहा है कि वह क्या करे?
यूरोप और दुनिया के लिए रूस-यूक्रेन लडाई 1973 के अरब-इसराइल (योम किपूर) वार से ज्यादा तबाही मचा रहा है क्योकि दुनिया globalise हो गई है, महगाई बढ रही है, सभी देशो का GDP गिर रहा है और तेल उत्पादक देशो का जीडीपी बढ रहा है।जब यूरोप ने 1948 मे इसराइल बनाया हो गा तो योम किपूर के असर से यूरोप की तबाही नही सोंचा होगा।
अरब-इसराइल लडाई के बाद से मिडिल ईस्ट ने “oil as weapon” इस्तमाल किया और सोवियत संध टूट गया और आज रूस वही काम यूक्रेन लडाई शुरू कर “gas as weapon” इस्तमाल कर यूरोप को बरबाद कर रहा है।मंहगाई यूरोप मे 8-9% बढ गई है और इंगलैंड और इटली की सरकार गिर गई क्योकि लोगो का standard of living गिर रहा है।
हंगरी के प्रधानमंत्री ओरबेन ने कहा है कि “तेल/गैस के बढे दाम के कारण यूरोप मे सरकार “like dominoes” गिर रही है।हम लोग एसे कार पर बैठे हैं जिस का चारो चक्का पंचर है” ओरबेन ने कहा यूक्रेन कभी लडाई नही जिते गा क्योकि रूस के साथ बहुत लोग चुप हो कर स्पोर्ट कर रहे हैं।अमेरिका को रूस से बात कर लडाई ख़त्म करनी चाहिये क्योकि अमेरिका-नार्वे-क़तर-आजरबाईजान-अलजेरिया मिल कर भी यूरोप या दुनिया के गैस की कमी पूरा नही कर सकता है।
जापान और चीन मे inflation 2.5% है जो दुनिया मे सब से कम है।तेल के कारण श्रीलंका मे स्कूल कालेज तीन महीना से बंद है।ASEAN देशों मे खाने की चीज़ सब से ज्यादा मंहगी है।सिंगापुर और मलेशिया मे खाने की चीज़ कम मंहगी हैं यानी ग़रीबी नही है, सरकार तेल और गैस पर subsidy दे रही है, टैक्स कम है।
पैंडेमिक और लडाई, सौ साल की सोंच और दुनिया को बदल दे गी, अब एक नई शकल/आकृति दे गी, सबरन जमील।
“यों हाथ नही आता वह गौहरे यक दाना
यक रंगी व आज़ादी, अय हिम्मतें मरदाना” (इक़बाल)
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