Post of 25-19-2022

आज Parmod Pahwa साहेब के पोस्ट पर पिछले नौ साल से चल रहे प्रचार का एक बहुत ही सही जुमला पढा “फ़िलहाल समुंद्र मंथन चालू है।ग्रेटर इज़राइल, गजवा ए हिन्द, हिंदू राष्ट्र जैसे शगूफ़े उसी का हिस्सा है लेकिन इस खेल को बिगाड़ने वालों में रुस, चीन, तुर्की और ईरान ने अपना बेहतरीन रोल अदा किया जिसमें फ़िलहाल अरब भी जुड़ गये है.”

8 सितंबर 2022 को राज-पथ का नाम बदल कर कर्त्तव्य-पथ रख कर द्वितीय विश्वयुद्ध मे यहूदियों का नरसंहार करने वाले हिटलर के समकर्थ, सुभाष बोस की मूर्ती उसी कर्तव्य-पथ पर किंग जोर्ज की मूर्ती हटा कर रखा गया।उसी शाम 8 सितंबर को इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ का निधन हुआ।

मोगलों और अंग्रेजों के बनाये सड़क, महल, राज भवन, रेलवे स्टेशन का नाम पता बदल कर भारत का इतिहास बदलने की आदत स्वतंत्रत भारत मे आजादी के बाद से देश मे आम बात है मगर हिटलर समर्थक किसी भारतीय नेता की मूर्ती अंग्रेजों के बनाये राष्ट्रपति भवन के रोड पर पहली बार लगी।दु:खद बात यह है कि उसी दिन एलिजाबेथ का स्वर्गवास हुआ जो इंगलैड के लिए एक एतिहासिक यादगार रहे गा।

ग्रेटर इस्राईल, गज़वा हिन्द और हिन्दु राष्ट्र जैसे शगूफ़े की कहानी तो अरब स्प्रिंग के बाद 2014 मे बनी सरकार और बराक ओबामा के 24-28 जनवरी 2015 के भारत यात्रा के दिन ही ख़त्म हो गई थी, जब ओबामा को शाह सलमान रेयाद एयरपोर्ट पर अकेला छोड कर नेमाज़ पढने चले गये और पुटिन को सीरीया मे अगस्त मे बोला लिया।मगर मेरे देश मे किसी को यह बदली दुनिया की कहानी अभी तक समझ मे नही आई।

समझ मे आता कैसे? बक़ौल Jamshed Jamshed साहेब के “जब चाइना सुपर पॉवर बनने की तरफ़ तेज़ी से दौड़ रहा था, तब एक देश अपनी सुप्रीम कोर्ट और बाक़ी सभी इदारों के साथ मिलकर बाबर को वो जंग हराने के लिए लड़ रहा था जिस जंग को जीतना बाबर को दूसरी बार जीत दिलवाना था।500 साल बाद भी बाबर की जीत जारी है…”

अब कुछ नही हो सकता है, India needs Babur and the World needs China and the greater Middle East.

दिल परेशान है, रात विरान है
देख जा किस तरह आज तनहा हैं हम
शाम-ए-ग़म की क़सम, आज तनहा हैं हम
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Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman सौ साल की सोच सुभाष बोस की मूर्ती लगा कर बहुत बडा बलंडर कर दिया जिस का भारत को लम्बी अवधी तक बहुत बडा खसारा हो गा। अब सौ साल के सोंच का ड्रामा, करतब, प्रचार काम नही करे गा। आज सुनाक के मंत्री मंडल पर नज़र रखिये गा।

Mozaffar Haque शानदार! आपकी यह पोस्ट भी “समुद्र मंथन” के बाद निकल हुआ गौहर है ..

Lokendra Deshwal सुभाष चंद्र बोस ने नाजियों या जापानियों से मदद अपने देश को आजाद कराने के लिए ली थी और यह विश्व का चलन है की अपने स्वार्थ के लिए दूसरों से मदद ली जाती रही है । सुभाष बाबू एक उच्च शिक्षित व्यक्ति थे और कांग्रेस जैसे संगठन में भी उनकी बहुत ऊंची पदवी थी लेकिन अपने गरम मिजाज के कारण उन्हें कांग्रेस छोड़नी पड़ी और जंगे आजादी में अपने प्राण न्योछावर करने का चरम निर्णय लेना पड़ा।

  • Kamil Khan. Lokendra Deshwal सोचिये अगर दूसरा विश्व युद्ध अगर हिटलर जीत जाता तो आज भारत किस के साथ होता, बाकी सुभाष चंद्र बोस की नियत पे शक नहीं है, पर एक मित्र देश (UK अमेरिका रूस ) की नज़र से देखिये.
  • Lokendra Deshwal, Kamil Khan हिटलर भी अपने देश के लिए लड़ रहा था ,अमरीका भी अपने साम्राज्यवाद को फैलाने के लिए विदेशों में अपनी नीतियों को जबरन थोपता है वैसे मैं हिटलर का समर्थक तो नहीं हूं पर यह पश्चिमी देश बहुत ज्यादा दूध के धुले नहीं है , खास तौर पर मुस्लिमों के प्रति । इस्लाम के प्रति इनका नजरिया जग जाहिर है।

Saurabh Prasad सुभाष चंद्र बोस के लिए इतना दिखावा क्यों !!!! गाँधी काफी हैं, उनके आड़ में हिन्दू राष्ट्र का सपना साकार हो ही रहा था/ है.

  • Mohammed Seemab Zaman सुभाष बोस की मूर्ती पूरे भारत मे लगा दिजये, हम को कोई एतराज़ नही है मगर उस जगह पर नही लगाई जहॉ दुनिया का सारा विदेशी नेता अंग्रेजों का बनाया राष्ट्रपति भवन जाये और anti-Semitic सुभाष की मूर्ती देखे। सोंचये वह क्या सोंचे गा।
  • Saurabh Prasad. Mohammed Seemab Zaman मूर्ति की जरूरत ही क्या है सर, गांधी नेहरू संघ के अपने नहीं तो सुभाष अपने कैसे!!!आरएसएस सिर्फ बर्बाद करना जानता है चीजों को।

Afreen Noor Tahrir AUR ash,aar very awesome combination.

Muhammed Zubair Shaandar sher, 3 line me poori dastan bata di, great.

Mujeebur Rehman Shandar sir

Subhash Chandra Bose