Written on 5th February 2025

ट्रम्प का टेरिफ्स (tariffs) ड्रामा कनाडा, मेक्सिको या यूरोप के अर्थव्यवस्था को बिगाड़ सकता है क्योंकि ऐतिहासिक तौर पर यह एक दूसरे के पड़ोसी हैं और दोस्त और एलाइज़ भी हैं मगर चीन अमेरिका का पड़ोसी या दोस्त या एलाइज़ नही है, वह सिर्फ़ एकोनोमिक पार्टनर रहा है।

अमेरिका ने चीन को आर्थिक विश्वगुरु बनाया तो चीन ने भी अमेरिका को पिछले 25 साल तक सुपर पावर बने रहने दिया। चीन के आर्थिक तरक़्क़ी से अमेरिका की आर्थिक तरक़्क़ी हुई। मगर बराक ओबामा द्वारा इस्लामोफोबिया (अरब स्प्रिंग) कर और भारत मे संघ की सरकार बनवा कर, बदलती दुनिया को बहुत तेज़ी से पिछले 15 साल मे बदल दिया।

बराक के इस्लामोफोबिया के जवाब में मलेशिया के महाथिर मोहम्मद ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ऐतिहासिक Silk Road को पुनर्जीवित करने का सलाह दिया और राष्ट्रपति शी ने 2013 मे कज़ाखस्तान मे जाकर “Silk Road Economic Belt” का एलान किया जो आज दस साल बाद Belt and Road Initiative (BRI) के नाम पर 21वी शताब्दी का ट्रेड रूट का एक शाहकार बन गया।

ट्रम्प के टेरिफ्स वार का चीन पर कोई नकारात्मक असर नही होगा क्योंकि वह manufacturing sector से तरक़्क़ी किया, वह सर्विस सेक्टर से तरक़्क़ी नही किया है। दूसरा चीन 140 करोड़ आबादी का consumption market है, जहॉ ग़रीब कोई नही है। तीसरा चीन कज़ाखस्तान से लेकर किर्गिज़स्तान तथा अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान तक BRI के रोड का जाल बिछा चूका है जो अमेरिका के पास नही है।

अमेरिका के पास एक “गर्लफ़्रेंड” है जिस से वह इस्लामोफोबिया का तांडव करता रहता है और एशिया और अफ्रिका के देशों को अपना दुशमन बनाता जा रहा है और इस का फ़ायदा चीन ने अपने BRI के प्रोजेक्ट का जाल बिछा कर सब को अपना “आर्थिक दोस्त” बना लिया।

#NOTE: ट्रम्प अगले छ: महीना मे फ्लाप कर जायें गें और “गर्लफ़्रेंड” के चक्कर में इस्लामिक देश तथा यूरोप भी अमेरिका का एलाइज़ (Allies) नही रहे गा। संभावना है कि यूरोप के बहुत से देश चीन और मिडिल ईस्ट से आर्थिक संबंध मज़बूत करे गें।