FB Post of 29 October 2023
कमाल अतातुर्क को मरे हुए 80 साल से ज़्यादा हो गया है मगर आज भी वह तुर्की के सबसे हर दिल अज़ीज़ राजनेता हैं।
अतातुर्क ने हमलावर ग्रीस की सेना जिस ने इस्तांबुल समित तुर्की का कुछ हिस्सा प्रथम विश्वयुद्ध (WWI) के बाद 1918 मे क़ब्ज़ा किया था उस को हरा कर दोबारा इस्तांबुल क़ब्ज़ा किया और 600 साल हुकूमत करने वाले ओटोमन सल्तनत को खत्म कर 29 अक्टूबर 1923 को तुर्की को गणराज्य घोषित किया।
आज रविवार को, तुर्कीया के लोग तुर्की गणराज्य की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मना रहे है।तुर्की जिस ने सभ्यताओं और संस्कृतियों का एक लंबा इतिहास संजोया है, उस का ओटोमन सल्तनत छह शताब्दियों तक दुनिया के तीन महाद्वीपों यूरोप, एशिया और अफ्रीका तक फैला था।
तुर्की 1952 मे NATO का सदस्य बना और सोवियत संघ को यूरोप में फैलने से रोका मगर 1992 में सोवियत संघ के टूटने के बाद अपनी विदेश नीति में बहुत बड़ा बदलाव लाया।आज तुर्की अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन आजड़रबाइबान-आर्मेनियाई युद्ध में देखा कर फिर सेंट्रल एशिया के देशों का लीडर बन गया है।अफ़्रीका में लिबिया, माली, चाड, सुमालिया, जिबूटी वग़ैरह में अपनी सेना का प्रशिक्षण केन्द्र खोला है।यूरोप में फिर अपनी पहचान रूस-यूक्रेन लड़ाई में अनाज की मध्यस्थता कर बना लिया है।
तुर्की दुनिया के नक़्शा मे geographically और strategically बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान पर है यही कारण है कि इस ने दुनिया के तीन महाद्वीपों पर राज किया और आज फिर सौ साल बाद अपने उसी मुक़ाम को पाने की कोशिश में कामयाबी की तरफ़ बढ़ रहा है।
#नोट: तुर्किया के 21वी सदी के नेता अरदोगान अतातुर्क के धर्मनिरपेक्षता और गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहे हैं।अरदोगान ने एक नये “Turkish Century” का आह्वान किया है।उम्मीद है कि अरदोगान का “तुर्की सदी” का नारा अरदोगान के बाद भी क़ायम रहे गा।
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman तुर्की दुनिया का वाहिद देश है जिस ने दुनिया के तीन महाद्वीप यूरोप, एशिया और अफ़्रीका पर हुकूमत किया है।यूरोप के रोमानिया, हंगरी, बुल्गारिया और चेकसलोवाकिया पर 1519 से 1566 तक राज किया है।
- Abdul Raheem, Mohammed Seemab Zaman सर, correction. 1876^ तक.
Abdul Haq हमारे यहा के मुस्लिम कमाल अतातुर्क को विलेन की तरह क्यों देखते है ? वो ना होता तो क्या आज इस मुल्क का वजूद होता
- Mohammed Seemab Zaman हमारे यहाँ के मुस्लिम “उर्दू में खुद ही लिखते हैं और खुद ही पढ़ते हैं” इस वजह कर अतातुर्क को विलन मानते हैं।इन का भी हाल हिन्दी बुद्धिजीवियों वाला है, “हम ही लिखा और हम ही पढ़ा” और कहा यही इतिहास सही है।
Aftab Yousufzai Sir, ottoman empire ko Ataturk ne kyu khatm kiya..? Aur shayad Royal Family ko bhi..?
- Mohammed Seemab Zaman, Aftab Yousufzai साहेब हर उरूज का ज़वाल होता है। अतातुर्क जान गया था कि ओटोमन सल्तनत का ज़वाल हो गया है, इस वजह कर ख़त्म किया।मेरे इल्म के हिसाब से उस ने जो किया वह सही किया वरना आज जो तुर्की है वह नहीं बचता।हर गली में एक खानकाह बन गया था जैसे आज पाकिस्तान में हर गली में एक मौलवी है। हर गली वाला मुस्लिम अपने को सही मुस्लिम कहता तथा और दूसरे गली वाले को काफिर कहता था।
Reyaz Ahmad Khan बेशक वर्तमान तुर्की मुस्तफा अतातुर्क के शिल्प का कमाल है, जिनके दूरदर्शी नज़रिए का परिणाम है
- Mohammed Seemab Zaman, Reyaz Ahmad Khan साहेब, अभी कुछ दिन पहले हम ने आज़रबाइजान के Nakhchivan पर लिखा था कि तुर्की के विदेश मंत्रालय के लोग 1923 में Moscow बात करने जा रहे थे तो अतातुर्क से पूछा कि हम लोग नकक्षेवन पर क्या बात करें गें? अतातूर्क ने कहा वह Turkey का Gateway है सेंट्रल एशिया के लिए यह बात ज़हन में रख कर बात करना………आज सौ साल बाद वह सब को पिछले महीना आरमेनिया की हार में आतातूर्क की दूरंदेशी दिख रही है। जो मुल्क अपना geography और history याद रखता है वह हमेशा कामयाब होता है।
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