Post of 18 September 2023

तुर्की ने अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रस्तावित “भारत- मिडिल ईस्ट- यूरोप” व्यापार गलियारा योजना का विरोध कर एक नये विकल्प Iraq Development Road योजना की बात किया है।

तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोगान ने कहा है कि “तुर्की के बिना कोई गलियारा नहीं हो सकता है।पूर्व से पश्चिम तक व्यापार के लिए सबको तुर्की से होकर गुजरना होगा”

Financial Times, London को कल तुर्की के विदेश मंत्री फिदान ने कहा “व्यापार मार्ग का मतलब केवल व्यापार को अकेले पूरा करना नहीं है बल्कि भौगोलिक स्थिति तथा आज के बदले जियोपौलिटिक्स/भू-रणनीतिक को भी नज़र में रख कर सोचना हो गा।”

कल फाइनेंशियल टाइम्स, लंदन ने लिखा है कि तुर्की पूर्व और पश्चिम के बीच एक पुल के रूप में अपनी पारंपरिक भूमिका पर जोर देते हुए ऐतिहासिक सदियों पुराना रेशम मार्ग का समर्थक है।तुर्की आम तौर पर चीन के बेल्ट एंड रोड (BRI) का समर्थक है और अब तक चीन बेल्ट एंड रोड के माध्यम से तुर्की में लगभग $4 billion निवेश कर चूका है।

अर्दोगान “भारत- यूएई- सऊदी अरब- जॉर्डन- इस्राईल- ग्रीस- यूरोप” कोरिडोर के पक्ष मे नहीं हैं बल्कि इराक़ के प्रस्तावित “Iraq Development Road” कोरिडोर के पक्ष मे हैं। इराक़-तुर्की-यूरोप प्रस्तावित योजना $17 billion का है।यह योजना इराक़ के ग्रैंड फ़ॉ (Grand Faw) बंदरगाह से तुर्की तक 1200 km हाई-स्पीड रेल और समानांतर सड़क नेटवर्क है जो तीन चरण में बने गा।इस इराक़ी योजना में इराक़, यूएई और क़तर पैसा लगायें गें जिस का पहला चरण 2028 में और अंतिम चरण 2050 में पूरा करने का लक्ष्य है।

मेरा कहना है कि “भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप” गलियारा जो भारत- यूएई- सऊदी अरब- जॉर्डन- इस्राईल- ग्रीस- यूरोप” 6 देशों और “land-sea-land-sea-land” योजना है, इस मे सामान ढोलाई असंभव और काफ़ी मंहगा हो गा।दूसरे, इस भारत कोरिडोर को साकार करने के लिए वित्तपोषण कौन करें गा या पैसा कौन लगाये गा? न भारत पैसा लगाने की क्षमता रखता है और न ही यूरोप पैसा लगाये गा, फिर तो यह योजना एक “जुमला” साबित हो कर रह गया।

#नोट: मेरा कहना है कि तुर्की का यह इराक़ी गलियारा भारत के लिए “land-sea-land” है जो सामान ढोलाई मे स्सता होगा।दूसरे तुर्की इस क्षेत्र में ऐतिहासिक राजनीतिक प्रभाव रखता है तथा व्यापार को सुविधाजनक बनाने और गलियारे में भाग लेने वाले देशों के बीच विवादों को सुलझाने में सक्षम है जबकि इस न्यू वर्ल्ड ऑर्डर मे भारत कभी भी 6 देशों के विवादों को सुलझाने में सक्षम नहीं हो गा। जय अल हिन्द।
=============
Some comments on the Post

Salim Khan विश्व में जोड़ने की बात की जा रही है मगर अपने यहाँ अभी भी दूरियाँ बनाए /बढ़ाए रखने का काम जारी है। जैसा कि देखा जा रहा है कि मीडिया बहिष्कार से सत्ता में छटपटाहट साफ दिखाई देने लगी है जबकि मीडिया के कार्यक्रम अभी भी बदस्तूर जारी हैं जबकि एक अदद प्रेस कॉन्फ़्रेंस पिछले 9-10 सालों में देखने को नहीं मिली है बल्कि गाहे बगाहे हर दफा मीडिया में उत्सव मनाने का कोई मौका चूका नहीं गया है जैसा कि चंद्रयान के समय लोग वैज्ञानिकों सुनना चाहते थे मगर उसे हैक करके कहीं और पहुंचा दिया गया और अभी G20 का हासिल सामने नहीं आया है।

Zeenat Khanहम आपकी पोस्ट पे पहले भी कह चुके क्या चीन हमें अपना competitors बनने देगा. अब तो तुर्कीये ही सामने खड़ा हो गया वह क्यों अपना हक़ जाने देगा.. वैसे भी हम सोई से लेकर सोलर पैनल तक हर छोटी बड़ी चीज़ चाइना से मंगाते हैँ विश्व को हम देंगे क्या?? कानपूर के लेदर सेक्टर को 50000 करोड़ के टर्न ओवर से 10000 करोड़ पे ला दिया सिर्फ नफरत की वजह से वरना इटली के बाद सब से बड़ा लेदर हब कानपुर था लेकिन उर्दू नाम वाले मालिकों से नफरत ले डूबी..हम सिर्फ राइस दे सकते या मीट राइस में पाकिस्तान सेंध लगा चूका है

  • सौबान रजा, Zeenat Khan मेरी व्यक्तिगत विचार है कि अभी 2-3 टर्म ये संघी सरकार आनी चाहिए.

Kamil Khan मेरा एक सवाल है के रास्ता अगर बन भी गया तो भारत एक्सपोर्ट क्या करेगा जो चीन को टक्कर दे सके, भारत तो खुद चीन का माल खरीद कर अपना काम चला रहा है

  • Mohammed Seemab Zaman, Kamil Khan साहेब, आप का सवाल सही है कि भारत एक्सपोर्ट क्या करे गा? मेरा सावाल है कि जब $27 billion का प्रोजेक्ट हाई स्पीड ट्रेन और रोड 2050 तक पैसा वाले तीन मूल्क बनाये गें तो भारत का यह कोरिडोर क्या 2080 तक भी बन पाये गा। भारत मे तो बंदरगाह मे 7-8 बर्थ से ज्यादा नही है जबकि चीन के पास 250 बर्थ का बंदरगाह है जहॉ एक वक्त मे 250 जहाज़ समान उतार और चढ़ा सकता है।
    • Bhanu Pratap Singh, Mohammed Seemab Zaman mujhe lagta hai bharat that is India, jo export karne wala tha uspar kisan andolan ne paani fer diya hai, ab direct kisaan to itna badhi jimmedari ka nirvahan karne me aksham dikhta hai.

Khursheeid Ahmad जबरदस्त पोस्ट. सर इराक़ तुर्की के बीच रास्ता नया नहीं है यह शताब्दियों तक रेशम मार्ग व मसाला मार्ग का हिस्सा रहा है. बस पहले बसरा से तुर्की जल मार्ग था अब यह सड़क व रेल मार्ग बनाने जा रहे हैं.

Jitendra Singh लैंड रूट भी बन सकता है, पाकिस्तान, ईरान, इराक, अरब होते हुए तुर्की तक, रेल और सड़क दोनो जा सकती है।

  • Anish Akhtar, Jitendra Singh बिल्कुल लेकिन जाने कौन देगा इन्होंने अपने अल्पसंख्यक समुदाय को लाइब्लिटी समझा जबकि इनको एसेट्स समझना चाहिये था.

Jagdish Bhambhu मनमोहन सरकार के समय इस तुर्की वाले रास्ते की चर्चा थी, और काफी पेपर वर्क हो चुका था, चीन इससे नाराज था, फिर आगे. वो सब ठंडे बस्ते में चला गया,

Parmod Pahwa जी के पास विस्तृत जानकारी है

  • Mohammed Seemab Zaman चर्चा रहा होगा तब ही तो अब यह प्रोजेक्ट $27 billion का बनाया गया है। इस मे हाई स्पिड रेल 1200 km है। यह इराक मे बडा बदलाव ला दे गा।
    • Parmod Pahwa Mohammed Seemab Zaman सर तुर्की वाला प्रोजेक्ट पशेपर्दा रूस के साथ मिलकर है और mbs का दखल भी है।जी बिस्से वाला ख्वाब सिर्फ एक मज़ाक़ बनकर रह गया है ।हमारा प्रोजेक्ट सबसे अच्छा था जिसमे चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, अफगान और सेंटरल एशिया शामिल थे।मगर ज्ञानवान अबू ज़हल ने तोरपीड़ो कर दिया.

May be an image of map and text that says "Planned Middle East transport corridors To Europe TURKEY To Europe SYRIA Iraq Development Road Baghdad IRAQ ISRAEL IRAN AFGHANISTAN EGYPT JORDAN PAKISTAN SAUDI ARABIA UAE SUDAN OMAN INDIA Source: FT research ©FT YEMEN G20-supported India-Middle East transport corridor"