Post of 5th January 2021
हम ने 7 दिसंबर को पोस्ट मे क़तर के साथ ईरान को जोड कर पोस्ट किया था। बाईडेन के जीतने के बाद शाह सलमान के एक फोन पर अरदोगान मिडिल इस्ट भूल गये और फिर अरदोगान ने रूस-तुर्की-इंगलैड और फ्रांस का खेल शुरू कर दिया।
कल रात मे कौवैत के विदेश मंत्री ने क़तर और सऊदी अरब के बीच ताल्लुकात बहाल होने का एलान किया मगर फिर “कुशनर, ट्र्म्प के दामाद ख़ून लगा कर हम भी शहीद” का नारा वेस्टर्न मिडिया ने लगा दिया।
मगर यह अरब राजनीति ने ईरान-फ्रांस-अमेरिका के JCPOA और ईरान की सिरिया, इराक़, यमन, लेबनान मे शडयंत्र का जनाज़ा निकाल दिया। ईरान अपने चाल मे सिरिया मे तुर्की को फँसा कर रखा जब कि सऊदी वहॉ से 2015 मे निकल कर रूस को बोला लिया। तीन साल मे अरदोगान ने ट्र्म्प को जेब मे रख कर मेडिटेरेनियन, इराक़, सिरिया, लेबनान, अफ्रिका और नगोरनो काराबाख तथा चीन ट्रेन भेज कर अपना झंडा लहरा दिया।
ईरान चीन को तीन साल से उमीद देलाता रहा कि वह चीन से Strategic Partnership करे गा मगर चीन का Belt and Road ईरान और इराक हो कर मेडिटेरेनियन या मिडिल इस्ट जाये न की पाकिस्तान के गवादर से जाये (नीचे नक्शा देखें)
मेरे नज़र मे क़तर-मिडिल इस्ट का झगडा अरदोगान-शाह सलमान की राजनीति थी जिस मे बेवक़ूफ़ बनाया गया यूरोप-ट्र्म्प-ईरान-भारत को। मोदी जी को समझ मे चार साल कुछ नही आया और यह यूरोप मे मैकरौन से गले मिलते रहे, हाऊडी मोदी/नमस्ते ट्र्म्प करते रहे, ईरान भी जाते रहे और बेवक़ूफ़ी मे जेनरल नरावने को सऊदी अरब भेज दिया। इसी बीच तीन साल मे चीन, रूस और जापान ने मिडिल ईस्ट/ तुर्की से मधुर सम्बंध बना लिया।
GCC मिटिंग के बाद इस पर एक पोस्ट और आज रात या कल करें गें।