Post of 14 February 2021
पिछले महीना तुर्की के इस्लामिक संस्था “दियानेत” ने फतवा जारी किया है कि “काली और नीले” रंग के चार्मस को बूरी नजर से बचने के लिये तावीज़ के तरह इस्तमाल न करे, यह इस्लाम मे मना है। दियानेत ने कहा है के “बूरी नजर के nature and condition का पता नही चलता है मगर मजहब मे बूरी नजर को लोग मानते है”.
3,300 साल सेंट्रल एशिया के सलजूक़ी तुर्क आसमान को खुदा (the sky god) मानते थे और बूरी नजर को रोकने या बचने के लिये 3,300 साल से तुर्की, कुछ ऐशिया के देश और यूरोप (हंगरी, रूमानिया) के लोग “निले रंग” को the sky god” का रंग मान कर इस्तमाल करते थे। जब यह सलजूक़ी तुर्क लोग मुस्लिम हुऐ उस के बाद भी यह “आसमानी/निले” रंग को सामाजिक तौर अपने ऐमारत के सजावट मे इस्तमाल करते रहे।
हम जब तुर्की गये तो यह निले रंग और बीच मे काला नजर वाली तावीज़ हर जगह बिकते देखा और मकान, दूकान वगैरह के सजावट मे देखा।हम भी लोगो को तोहफ़ा देने के लिये कुछ key ring खरीद कर लाये और बॉटा।
हम खूद ताजुब मे थे हर जगह दुनिया मे रेड कार्पेट फंगशन वगैरह मे देखते हैं मगर तुर्की मे नीला कार्पेट लोग इस्तमाल करता है। देखये नीचे तस्वीर मे तुर्की के राष्ट्रपति भवन मे भी नीला कार्पेट इस्तमाल होता है। सेंट्रल एशिया के मस्जिद, मदरसा, ऐमारत मे नीला (sky), फ़िरोज़ा (turquoise) या कोबाल्ट (cobalt) का रंग का इस्तमाल बहुत नज़र आता है।(पूरी खबर का लिंक कौमेंट मे पढे फिर कौमेंट करें)