Post of 20 December 2022
کوئی تقدیر کی منطق سمجھ سکتا نہی ورنہ
نہ تھے ترکان عثمانی سے کم ترکان تیموری
जिस तरह से 1973 के “अरब-इस्राईल लडाई” के बाद मिडिल इस्ट को पता चला की “Oil is a weapon” उसी तरह से 2022 मे “रूस-यूक्रेन लडाई” मे सेंट्रल एशिया के तुर्कों को पता चला कि “Gas is also a weapon”.
1990-92 मे सोवियत संघ के टूटने के बाद सेंट्रल एशिया के तुर्क देश, क़ज़ाखस्तान, उज़्बेकिस्तान, टर्कमनिस्तान, किरगिस्तान, अज़रबाइजान वगैरह 70-80 साल बाद आज़ाद हुऐ।इन देशो खास कर क़ज़ाखस्तान के पास तेल, गैस, यूरेनियम तथा अज़रबाइजान और टर्कमनिस्तान के पास गैस और तेल बहुत है।
2009 मे क़ज़ाखस्तान के राषट्रपति नूर सुल्तान ने तुर्किया के साथ इन देशो का Turkic Council बनाया जिस का नाम पिछले साल Organisation of Turkic States (OTS) कर दिया गया।
आजरबाईजान और रूस तो तुर्किया और यूरोप को गैस और तेल पहले से पाइप लाइन से देता था मगर फरवरी मे रूस-यूक्रेन लडाई के बाद यूरोप ने रूस से गैस नही लेने की धमकी दिया, मगर आज तक यूक्रेन और यूरोप रूस का तेल और गैस ले रहा है।
पिछले महीना अरदोगान जिन के पास न गैस है न तेल है, पुटिन और टर्किक राज्यों (OTS) को सुझाओ दिया कि सब लोग यूरोप के लिए तुर्किया को “गैस केन्द्र” बना दें।अब तुर्किया Black Sea मे सब से बडा “Gas Storage facilities” बनाये गा और रूस, अज़रबाइजान, टर्कमनिस्तान, क़ज़ाखस्तान का गैस जमा कर यूरोप को दे गा।इस गैस पर नाम तुर्किया का होगा न की गैस उत्पादक देशो का होगा।यानि कान सिधा न छू कर बल्कि उलटा पकड़ा जा रहा है।
निचे नक्शा देखये, कैसे रूस, इराक़, ईरान, आज़रबाइजान और Caspian Sea से Baku से टर्कमनिस्तान, क़ज़ाखस्तान का गैस तुर्किया को दे गा और फिर वह यूरोप को बेचे गा।
#नोट: 1923 मे औटोमन सल्तन्त के ख़त्म होने के बाद, सौ साल बाद फिर तुर्क लोगो का ज़माना लौट आया।इस के लिए तुर्क को अफगानिसतान का शुक्रगुज़ार होना चाहिए जिस ने सोवियत संघ को ख़त्म किया और फॉल ऑफ काबूल से अमिरिका के दबदबा को ख़त्म किया।
=============
Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman यूरोप मे फरवरी के पहले कोई सोंच सकता था कि यूरोप मे लडाई हो गी? मगर यह सब जो तुर्किया के साथ हो रहा है वह रूस-यूक्रेन लडाई से तुर्किया को मनसलवा आया है। अब तो यूरोप बीस साल तुर्किया के जाल मे फँस गया।