Post of 23 July 2022
कल दुनिया के सभी अंतरराष्ट्रीय टीवी चैनल ने तुर्किया-यूएन-रूस-यूक्रेन के बीच “यूक्रेन अनाज” के ब्लैक समुंदर से निर्यात के मआहदह/ समझौता का live प्रसारण किया।इस समझौता से यूक्रेन अपना अनाज और रूस अनाज तथा फ़र्टिलाइज़र को दुनिया मे तुर्किया के देख-रेख मे निर्यात करे गा जिस से दुनिया मे खाने की चीज़ों का दाम कम हो गा।
कल से पूरी दुनिया की टीवी तथा अखबार तुर्किया के राष्ट्रपति अरदोगान का “जय जयकारा” कर रहे हैं।यूएन के चीफ ऐनटौनिओ गूट्रेस ने अरदोगान के तारीफ़ का पुल बॉध दिया है।कल के समझौता समारोह के समय जब अर्दोगान स्पीच देने के लिए खडे हुऐ तो गूट्रेस ने खडे होकर उत्साह पूर्ण स्वागत (standing ovation) किया जिस कारण हॉल मे मौजूद सभी मूल्कों के मंत्री और प्रेस वाले खडे होकर ताली बजाने लगे।ऐसा नज़ारा दुनिया मे बहुत कम देखने को मिलता है।
यूक्रेन और रूस पूरी दुनिया को 28% गेंहू, 29% बार्ली, 15% मक्का, 75% खाने का तेल निर्यात करता है।दुनिया के 40 करोड लोग यूक्रेन और रूस के अनाज से भोजन करते हैं।अफ्रिका के देश रूस के फर्टिलाईजर से खेती करते हैं।यूरोप के किसान एक हेक्टेयर खेत मे 100 kg उर्वरक तथा अफ्रिका के किसान केवल 7 kg इस्तमाल करते हैं।
रूस-यूक्रेन की लडाई 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ और अरदोगान ने 29 मार्च से पुटिन से अनाज के निर्यात पर वार्ता शुरू किया, इसी सिलसिला मे गुट्रेस मौस्को गये और यूक्रेन-रूस से तीन महीना के वार्ता के बाद कल समझौता हुआ।
तुर्किया और यूएन के देख रेख मे यह अनाज ब्लैक समुंदर (Black Sea) से बौस्फोरस होता हुआ यूरोप/एशिया/अफ्रिका जाये गा। तुर्किया सभी अनाज वाले जहाज़ का इंसताबूल मे निरीक्षण करे गा ताकि कोई लडाई का सामान आयात नही करे।Bosphorus का मालिक तुर्किया है।
#नोट: दुनिया कह रही है कि अर्दोगान ने “major diplomatic coup” कर दिया जो कभी यूरोप का देश कर के अपने को मानवाधिकार का चैम्पियन बताता था।मेरा कल का Egypt के पोस्ट को एक बार और पढ लिजये गा जिस मे शोधकर्ता ने कहा है कि पैंडेमिक दुनिया बदल देती है।
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman कल BBC English ने इस समझौता के बाद UNO Chief Antonio Guterres का साक्षात्कार किया जिस मे पहला सवाल किया के आप लोगो ने रूस के अनाज और फर्टिलाईजर को भी निर्यात की छूट दे कर रूस को लडाई का Reward दे दिया। उस पर गूट्रेस साहब बिगड़ गये कहा कि आप लोग यूरोप वाले रूस का तेल और गैस लिजये मगर अफ्रिका के लोग रूस का अनाज और उर्वरक न लें। यह कहॉ का इंसाफ़ है? देखये दुनिया कैसे बदल रही है।
Mohammed Seemab Zaman हम को ताजुब है कि किसी ने कल से आज तक इस पर कोई पोस्ट नही किया और न भारतीय अखबार इस खबर को छाप या टीवी देखा रहा है। इस समझौता से भारत मे अनाज का दाम अब कम हो जाये गा और पब्लिक सरकार से खाने के सामान पर GST हटाने की मॉग करे।
- Sanjeev Dutt Sharma, Mohammed Seemab Zaman जी गोदी मिडिया तो सदमे से नही उबर पाया होगा कि वो इस घटना को साहब से जोड कर उनका मास्टर स्ट्रोक नही बता पाया।
Dilawar Khan रूस यूक्रेन के बीच अनाज संधि अर्दोगों ने करवाई है। ना की मोदी ने इसलिए ये खबर भारत में कोई मायने नही रखती है।हाँ मोदी ने रूस यूक्रेन युद्ध 3 घण्टे के लिए बन्द करवा दिया था उस झूंठ का खुमार अभी तक भारतीय न्यूज़ चैनलों पर जरूर दिख जायेगा.
अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को क्यूँ तेरा घर मिले
ऐ साकिनान-ए-कूचा-ए-दिलदार देखना
तुम को कहीं जो ‘ग़ालिब’-ए-आशुफ़्ता-सर मिले
देखिए चिचा धमकी भी दे रहे हैं. आपके #नोट पर ग़ालिब बहुत पहले यूरोप को सनद करके गए थे. कभी खलीफा के भेष में तो कभी जेनरल मुशर्रफ़ बनकर आईना दिखा रहें हैं चिचा
- Mohammed Seemab Zaman
“अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को क्यूँ तेरा घर मिले”
ग़ालिब ने बहुत खराब वक्त देखा था मगर इतिहास पर बहुत ज़बरदस्त पकड थी जिस तरह से इक़बाल को थी। ग़ालिब के शेर को देखये गा तो कहीं कहीं पर आप यह सोंचने पर मजबूर हो जाऐ गें कि यह शायर नही था बल्कि “वली” था।
Parmod Pahwa आज जिस मुक़ाम पर तुर्किया पहुँच गया है इसके असली हक़दार हमें होना चाहिए था और दुनियाँ में सालसी का अहम किरदार निभाना चाहिए था मगर हम मौक़ा चूक गए क्योंकि बुद्धिजीवियों की हकूमत आ गई.
इराक़ लूट के बाद तुर्की ने अपनी मईशत ठीक कर ली थी और मरहूम सुषमा स्वराज भी इसी रास्ते से कुछ करना चाहती थी.
जो गुजर गया उसका ज़िक्र करना भी नही चाहिए मगर सुना था कि 20 डॉलर बैरल के हिसाब से बड़ी तदात में ग्रे मार्केट से तेल की आमद की बात चली थी.
हजूर ने तेल से ज़्यादा तेल अबिव को तरजीह दी जिसके नतायज मे उसने कंडम जला हुआ क्रूड भेज दिया और करोड़ों डॉलर का नुक़सान हों गया.
एक बार कोई मुल्क़ या दुकान मनफ़ी खाते में जाने लगे तो उसको मुनाफ़े में लाने के चक्कर में और नुक़सान होता जाता है. इसीलिए जुआ हराम करार दिया गया है
- Mohammed Seemab Zaman, Parmod Pahwa साहेब, “बुद्धिजीवियों की हरकत” ने हम को चीन नही बन्ने दिया। तुर्किया तो उस वक्त 6 करोड की आबादी थी वह कभी सैन्य ताकत नही बन सकता था वह तो soft power ही diplomacy कर के बन सकता था मगर हम soft और hard power दोनो बन सकते थे जैसे चीन दोनो बन गया। वह सन्य शक्ति से hard power बन गया और Belt & Road से soft power. क्या हमारे “बुद्धिजीवियों के दिमाग़ मे यह सब सोंचने की ताकत नही है?”अब हम लोग सब गवॉ दिया निपुर को पैदा कर, यह याद रखिये गा।
Arvind Srivastva आपकी सारी पोस्ट पठता हूं। निष्कर्ष यही निकलता है कि अमेरिका और यूरोप का वर्चस्व अब खत्म हो रहा है। अब एशिया ही दुनिया चलायेगा।
- Mohammed Seemab Zaman, Arvind Srivastva साहेब, आप ने मेरे सारे पोस्ट मे consistency देखा होगा, हम शुरू से जो पढ और देख रहे थे वह analysis कर लिख रहे हैं। चालीस साल से अमेरिका और यूरोप ने जो मिडिल ईस्ट मे मार किया और हमारे यहॉ “बूद्धिजीवियो की जो सरकार” ओबामा ने लाया, उस ने अमेरिका और यूरोप का जनाज़ा तेज़ी मे निकाल दिया। मगर मेरे यहॉ कोई समझ नही पाया, क्या blunder कर दिया हम लोगों ने। अभी मेरा कौमेंट Parmod Pahwa साहेब के कौमेंट मे पढ लिजिये मेरे मे वह ताक़त थी के हम चीन से बडी ताक़त होते मगर गवॉ दिया।जानते हैं हम “क़लम” बहुत रोक कर लिखते हैं क्योकि जानते हैं बहुत लोग को समझ मे नही आये गा। देखते हैं न उर्दु नाम वाले लोग कौमेंट कर देते हैं कि हम “अरब की बहुत बैटिंग करते हैं”
Kamil Khan अर्दोगन आदमी है या करिश्मा , अभी अजरबेजान , फिर ईरान में पुतिन मीटिंग और फिर ये अनाज संकट से दुनिया को बचाना , हफ्ता दस दिन में दुनिया कोई नेता इतना तेज नहीं दौड़ा जितना अर्दोगान दौड़ा है
- Mohammed Seemab Zaman, Kamil Khan साहेब, याद रखिये गा अगर इस बार ईरान अरदोगान की बात नही माना तो ईरान पूरे मुस्लिम दुनिया मे “अकेला” रह जाये गा। इस को न रूस बचाये गा और न ही चीन। दोनो भी इस को भूल जायें गें।
Sayed Mohammad Mateen Ali लाजवाब,,,,, हिन्दुस्तानी अख़बारों को अभी अपनी मेजर ज़रूरतें पूरी करने की जद्दोजहद से ही फुरसत नहीं है कि दुनिया की खबरों से देश की जनता को आगाह करें.
Abdul Bari तुर्किया ने अपने दोनो दरवाजे एक साथ दुनिया के सामने खोल रखे है । इस वक्त सूपर पावर को तुर्की की जरूरत है । पिछले दिनों आपने देखा नाटो के इजलास मे कैसे उसने स्वीडन और फिनलैंड की समुलीयत को लेकर सभी को अपनी उंगली पर नचाया । तुर्की को जब जब अमेरिका से सपोर्ट नहीं मिला वोह रूस के पास पहुंच गया और जब रूस का सपोर्ट नहीं मिला तो वो ऑलरेडी नाटो सदस्य है और अमेरिका की तरफ उसका होना बनता है ।
यह याद रखे सल्तनत उस्मानिया के टूटने के बाद तुर्की को खड़ा करने मे रूस का बहुत बड़ा हाथ है । इसलिए आज भी रूस को लेकर तुर्कियो का सॉफ्ट कॉर्नर है जो वेस्ट को लेकर उतना नही।
Salimuddin Ansari हमारे हां क्यों उरदगान की तारीफ़ हो। अटल टनल तुरकिये ने बनाया उसका तो कहीं ज़िक्र नहीं तो इसका कैसे करें।हमारे इशारे पर छे घंटे यद्ध रोक दी गई हमारे झंडे तले पाकिस्तानी छात्रों ने भी सुरक्षित योक्रेन से निकले यही अपने मुह से मिया उल्लू ही काफ़ी है।
Sanjay Sharma हर देश को आरदोगन जैसा नेता चाहिए ।रियल विश्वगुरु.
Javed Hasan सर अर्दोगान की तेहरान यात्रा कामयाब रही इस अनाज की डील तेहरान में हो गई थी पुतिन से कल तो बस घोषणा हुई है दूसरी ओर ईरान से 25 साला डील कर आया ऊर्जा क्षेत्र में. अब ईरान का देखना है वो क्या फायदा उठाता है?
27/07/2022 at 1:06 PM
Shandar post sir
Kash kash Bharat or budhdhijivi bhi aap ka sa zahan rakhte .😍
28/07/2022 at 12:25 PM
Thanks.