18-07-2020

कल दि ऐकोनोमिस्ट मे एक आर्टिकल “तेल के देशो मे गौधुली” यानि सूरज डूब रहा है। लेख मे है तो बहुत जानकारी मगर वही वेस्टर्न प्रेस का खेल के अरब तेल पैदा करने वाले देश भूखमरी की ओर जा रहे हैं। जैसे मेरे यहॉ टीवी वाले सऊदी अरब के प्रिंस का महल बेचवा कर अपनी नाकामयाबी या सरकार की गलत नीति को छुपाते हैं।

यह तसवीर भी ऐकोनोमिस्ट ने अफ्रिका से लेकर ईरान तक मुस्लिम देशो मे तेल और गैस के पैदा करने वालो की है। मगर इस ने इस मे आईजरबाईजान और सेंट्रल ऐशिया के तेल और गैस पैदा करने वाले देश की तस्वीर नही दिया है।

यहॉ तो मिडिल ईस्ट को बर्बाद देखाना है क्योकि कोरोना मे सऊदी अरब या ओपेक के देशो ने तेल का दाम गिरा कर अमेरिका के शेल तेल के कम्पनी और यूरोप के तेल कम्पनी को दिवालिया कर दिया। दिसंबर मे सब को पता चले गा कि यूरोप और अमेरिका की कितना बैंक और कितना तेल की कम्पनी डूबी।

लेख मे यह सही लिखा है कि 2012 मे इन मुस्लिम देशो को तेल से $1 trillion पैसा आता था जो 2019 मे $575 billion आया। इस मे सेंट्रल ऐशिया के तेल और गैस वाले देश काजाकिस्तान, तुर्किमिन्स्तान, उज़बेकिस्तान और आजरबाईजान या मलेशिया, इंडोनेशिया का नाम नही है।

अब हम को कोई बताये, भारत को यूरोप और अमेरिका आर्थिक तरक्की कराये गा या यह मुस्लिम देश जो हमारे चारो तरफ पैसे के ढेर पर बैठे हैं वह? हमारी 1923 की सोंच ने हम को डूबा दिया और कोरोना ने सब नक़ाबपोश को नंगा कर दिया।

लेकिन जो नागपुर मठ ने 70 साल से दंगा, लिंचिंग, गाय गोबर, 370, एनआरसी, दिल्ली दंगा किया वह देश के लिये अच्छा हुआ वरना यह क़ल्क दिल मे रह जाता की हम 100 करोड अकेले विशवगुरू बनने की ताकत रखते हैं। अभी तो हम को #लूकईस्ट का जो नारा दिया था उस से अगले तीन साल अकेले निपटना है।