Post of 24 February 2024

9/11 से पश्चिमी ताक़तों का ज़वाल शुरू हुआ, फिर 2008 की आर्थिक मंदी और कोरोना आया, फ़ॉल ऑफ काबूल हुआ, मगर ज़वाल को गति रूस-यूक्रेन युद्ध तथा इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के नरसंहार (Genocide) ने दे दिया।

*द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1973 अमेरिका की सेना के लिए महत्वपूर्ण वर्ष था।1973 मे वियतनाम लड़ाई मे अमेरिकी सेना हार कर पस्त हो कर वियतनाम से वापिस आ गई लेकिन उसी साल 6 अक्टूबर 1973 को अरब-इसराइल युद्ध ने अमेरिका की सेना को अगले पचास (50) साल के लिये मिडिल ईस्ट में मार-काट करने के लिए ज़िंदा कर दिया।

*1945 से ‘फ़ॉल ऑफ काबूल’ (2021) तक अमेरिका दुनिया का अकेला सुपर-पावर बना रहा। फ़ॉल ऑफ काबूल के बाद अमेरिका की सेना का अंत शुरू हो गया और रूस ने आज ही के दिन दो साल पहले 24 फ़रवरी 2022 को यूरोप मे फिर जंग शुरू कर दिया और फलस्तीन की प्रतिरोधी ताक़तों ने 1973 के ठीक पचास साल बाद 7 अक्टूबर 2023 को अमेरिका की सेना को चुनौती दे दिया।

*मेरा मान्ना है कि 2024-26 तक अमेरिका तथा अमेरिकी डालर का प्रभाव दुनिया में खत्म होगा, चीन का युआन भी अंतरराष्ट्रीय करेंसी बने गा, रूस-यूक्रेन लड़ाई मे युद्ध विराम तथा समझौता होगा।

*मेरा अनुमान है कि दो साल में दुनिया “दो-ध्रुवीय” (Bipolar) हो जाये गी।एक ध्रुव का नेतृत्व अमेरिका करें गा जिस मे यूरोप के कुछ देश अमेरिका के साथ होंगें और दूसरे ध्रुव का नेतृत्व चीन करे गा जिस मे रूस, ईरान, तुर्की, सऊदी अरब, यूऐई हों गें।

*मिडिल ईस्ट तथा सेंट्रल एशिया के देशों के तेल, गैस, खनिज के दौलत तथा चीन के बेल्ट और रोड योजना के कारण एशिया और अफ़्रीका के देश बहुत तरक़्क़ी करें गे, जिन को रूस तथा चीन सुरक्षा दे गा।

#नोट: इतिहासकार 21वी सदी का इतिहास चीन का उदय लिखें गें और अमेरिका के सुपर-पावर का ताज उड़ने का मुख्य कारण इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के संघर्ष में अमेरिका की आर्थिक और सैनिक मद्द जो नरसंहार की कारण बनी।

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