उज़बेकिसतान, सेंट्रल एशिया का मूल्क 70 साल बाद रूस के कौमयूनिस्ट राज से एप्रिल 1991 मे आज़ाद हुआ। इस की आबादी लगभग 3 करोड है और कौटन, तेल, गैस, पूराना यादगार शहर, ऊँचा पहाड़, ख़ूबसूरत नक्कशी की हुई अमारत, मस्जिद और हज़रत इमाम बोखारी का वतन है।

यह दूनिया का पहला “doubly landlocked” मूल्क है। यह लैंड-लौक्ड मूल्क अपने चारो तरफ लैंड-लौक्ड मूल्क अफगानिस्तान, तुरकमिनस्तान, किरगिस्तान और कजाकिस्तान से घिरा है।उज़बेकिसतान अपना गैस कम दाम पर पाईप लाईन से चीन को बेचता था और $2.3 billion कमाता है। कुछ गैस को लिकविड (gas to liquid) बना कर भी बेचता है जिस तरह से क़तर, नाईजेरिया, मलेशिया या साऊथ अफ्रिका बेचता है, मगर यह महगॉ तकनीक है।

अभी महामारी के कारण चीन ने पाईप लाईन से गैस लेना कम कर दिया तो उज़बेकिस्तान ने फैसला लिया है कि वह अब सारा गैस खूद इस्तमाल करे गा और इस के लिये वह $3.6 billion मे एक पूराने शहर क़रशी मे “gas to liquid plant” लगाये गा और चीन के मद्द से प्लास्टिक और पेट्रोकेमिकल्स प्लांट लगाये गा और 2025 तक गैस बेचना बंद कर दे गा।

उज़बेकिसतान अब दुनिया मे कौटन का भी निर्यात बंद कर दे गा और कपडा बनाने की फैक्ट्री लगाये गा जिस से लोगो को रोज़गार मिले गा और चीन के बनाये सिल्क रोड से प्लास्टिक का सामान, कार्पेट और तैयार कपडा वग़ैरह निर्यात करे गा।

पिछले महीना उज़बेकिसतान के राष्ट्रपति पाकिस्तान मे थे और उन्होंने इमरान खॉ को उज़बेकिसतान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान रेलवे लाईन बनाने का प्रोपोज़ल दिया है, जिस से आयात-निर्यात-पर्यटन को बढ़ावा मिले।

चीन का बेल्ट और रोड योजना, तालेबान शांति समझौता और कोरोना महामारी एशिया के “जिव-पौलिटिक्स” और “विकास के अर्थशास्त्र” (development economics) को बहुत तेज़ी से बदल रहा है और बदले गा।

(My Post on Facebook on 2nd October 2020)