Post of 6 July 2019
ھواےتند کی موجوں میں محصور
سمرقند و بخارا کی کف خاک
اک ولولہ تازہ دیا میں نے دلوں کو
لاہور سے تا خاک بخارا و سمرقند
Uzbekistan is a landlocked country but fertile region at the heart of Central Asia, declared independence from Soviet Union in 1991. It has a population of 32 million and the fourth-largest gold deposits in the world. The copper deposits rank tenth (10th) in the world and its uranium deposits twelfth (12th). It has also significant untapped oil & gas reserves.
President Islam Karimov led Uzbekistan since Soviet days, died in 2016. He renovated all the old Islamic sites such as Samarkand (Imam Bukhari) and Bukhara (Bahauddin Naqshbandi), after 75 years of Soviet destruction.
Current President Shawket Mirziyoyev abolished capital and currency controls and has been successful in overhauling the economy at breakneck speed. In Tashkent, Samarkand and Bukhara hotels are bustling with Western Consultants, Saudi Princes and Asian investors.
Uzbek cherries, tomatoes are being exported to China and Russia. Exports of textiles have risen to $2 bn last year.
Tilya-Kori Madrasah, one of the three religious and architectural monuments of Samarkand, located on the famous Registan Square and included in the list of UNESCO World Heritage Sites.
Dorling Kindersley, a British Publisher of encyclopaedia said Tilya-Kori, a dazzling madrasah is an alternative to St. Peter’s Basilica in the Vatican. He wrote “when it comes to absolute luxury, a dazzling madrasah has an advantage over a cathedral.”
Tilya-Kori was built between 1647 and 1660 by the military leader Alchin Yalangtush Bahadur, its unique design and interior attracts the interest of photographers.
Islam was born in Saudi Arabia but flourished in Uzbekistan & Iraq. In June 2019, I had the privilege of visiting all the religious mausoleums in Tashkent, Samarkand and Bukhara. All the places have been renovated whilst preserving its old architectural beauty, which is unimaginable.
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उज़बेकिस्तान: समरकंद और बोखारा
समरकंद और बोखारा सेंट्रल ऐशिया के उज़बेकिस्तान का एतिहासिक शहर है। रूस ने 19 वी सदी मे अपने दक्षिण मे पड़ने वाले सभी मुस्लिम देशो को सल्तनतें उसमानिया तुर्कीया से छीन कर अपने राज्य का हिस्सा बना लिया। जब 1991-92 मे सोवित यूनियन का जनाज़ा बडे धूम से निकला तो उज़बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किरगिस्तान, आईजरबाईजान, कज़ाख़िस्तान, तुर्ककिमिनिस्तान आज़ाद मुस्लिम देश बना।
सभी देश खास कर काजाकिस्तान और आजरबाईजान तो दुबई से भी ज्यादा तरक़्क़ी कर गया है और चीन के “सिल्क रोड” ने इन देशो को एक लम्बी उमर दे दी है, उस मे किरगिस्तान और उज़बेकिस्तान पूराना सिल्क रोड का देश रहा है।
शायर मोहम्मद इक़बाल ने तीन अशआर मे समरकंद और बोखारा को एक साथ इस्तलाहन इस्तेमाल किया है।जिस मे हम यहॉं दो लिख रहे हैं अपने वालिद मोहम्मद बदिउजजमा साहेब की किताब से:
ھواےتند کی موجوں میں محصور
سمرقند و بخارا کی کف خاک
اک ولولہ تازہ دیا میں نے دلوں کو
لاہور سے تا خاک بخارا و سمرقند
मोहम्मद इब्न ईसमाईल अल बोखारी जिन्होंने “सही हदीस” जमा की जो मुसलमानो के लिए क़ुरान के बाद दूसरी किताब मानी जाती है कि क़ब्र मुबारक समरकंद मे है। जिस को रूसी शासक ने विरान कर दिया था और उस के सहन मे रासायनिक पदार्थ का स्टोर बना दिया था।
लेकिन ईनडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकारनो जब 1965 मे मौसको गये तो रूस के राष्ट्रपति कुरूसचेव से कहा हम ईमाम बुख़ारी के मज़ार पर हाज़िरी देना चाहते है। पढा है की दो दिन मे मज़ार और सहन की सफ़ाई हुई नया रोड बना और सुकारनो ने वहॉं जा कर हाज़िरी दी।
आज तो वहॉं का कोई और मनजर है।वहॉ पर आज एक बहुत बडा मद्रसा बना है जहॉं हर साल दुनिया के 10 लड़कों को हदीस की तालीम चार साल दी जाय गी। हम को ईमाम बोखारी के मसजिद के पेश-ईमाम ने लेजाकर देखाया।