Post of 20 August 2022

یکایک ہل گئ خاک سمرقند
اٹھا تیمور کی تربت سے ایک نور

उज़बेकिस्तान के राषट्रपति शौक़त मिरज़ा दो दिन के सऊदी यात्रा पर थे और कल मक्का जा कर उमरा किया।

उज़बेकिस्तान 1991 मे सोवियत संध से सत्तर साल बाद आज़ाद हुआ। लाखों उज्बेक को स्टैलिन ने मारा और forced migration सोवियत संध के दूसरे राज्यों मे किया और इस्लाम का नाम-व-निशान मिटाने की हर मोमकीन कोशीश किया।

यह शौक़त उसी उज़बेकिस्तान के राष्ट्रपति हैं जहॉ इमाम मोहम्मद का जन्म बोखारा मे हुआ और समरकंद मे मज़ार है।इमाम मोहम्मद अल बोखारी ने हदीस जमा कर “सहीह बोखारी” एक मुसतन्द हदीस की किताब लिखी।इमाम बोखारी के हाते मे एक बडी मस्जिद है जहॉ सोवियत संध ने 1960 के दश्क तक chemicals godown बना रखा था।इसी उज़बेकिस्तान के शहर बोखारा मे मशहूर सूफ़ी बुज़ुर्ग बहाउद्दीन नंकशबंदी का मज़ार है।

आज समरकंद और बोखारा जा कर देखये राष्ट्रपति शौकत ने फिर पूरानी रौनक़ को सौ साल बाद उसी खूबसूरत अंदाज़ मे बना और सजा कर लौटा दिया है।अल्लाह शौकत की दुआ क़बूल करे और कामयाबी दे।

शौकत ने सऊदी अरब के साथ 10 द्विपक्षीय समझौता (bilateral agreements) $12 billions का उर्जा, स्वास्थ, पर्यटन, खाद्य, टेक्नोलोजी, दवाइयों तथा हवाई क्षेत्र मे किया। उज़बेकिस्तान के पास खुद तेल, गैस, सोना बहुत है मगर यह देश landlocked है।इस का पडोसी अफगानिस्तान है, जहॉ आज 42 साल से जंग और आतंकवाद दुनिया का कुछ मूल्क पैदा किये हुआ है।

इस पोस्ट को हम शौकत के नज़र करते हुऐ इक़बाल के एक शेर पर ख़त्म करते हैं,

“यकायक हिल गई खाके समरकंद
उठा तैमूर की तुरबत से एक नूर”
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Some comments on the Post

Kamil Khan जो शेर बाबर के लिए लिखा गया था उसे आप ने शौकत मिर्ज़ा की नज़र किया, बस यही बात समझने के लिए काफी है, कि आने वाला ज़माना हमारा है

Altaf Hussain स्टालिन ने इतने जुल्म क्यो किए थे सर ?

  • Mohammed Seemab Zaman देखये जहॉ तक हम ने जो पढा, उस से यही समझा के इन लोगो ने 1918 से 1923 तक मे औटोमन एम्पायर को ख़त्म होते देख कर समझ लिया की अब यह क़ौम ख़त्म हो गई और जो बची है उस को भी ख़त्म कर दो।यही बात सावरकर जो इंगलैड मे अखबार मे पढ कर आये और संघ बना लिया। यह सब एक लम्बी बहस है मगर अब सब पलट गया।
  • Nooruedeen Shaikh, Mohammed Seemab Zaman सर आप जैसी खुलुस दिल हस्तीओ पर फख्र है की आजके अंधे युगमे हमे इतिहास का दर्स देते है ओर हकीकत से वाकिफ कराते है अल्लाह आपसे राजी हो।
  • Qasim Chaudhary, Mohammed Seemab Zaman सारी दुनिया की ताकतें मिल कर मच्छर नहीं खत्म कर सकीं ये चले थे उस क़ौम को मिटाने जिसका शानदार इतिहास है.

Kamran Rafiq सर हमारे इंसानी हक़ूक़ जो रफ्ता-रफ्ता छीने जा रहे हैं कैसे हासिल होंगे? होंगे या नहीं?

  • Mohammed Seemab Zaman इस पोस्ट को पढने के बाद भी यह सवाल आप कर रहे है? इस पोस्ट को पढने के बाद यह सवाल बेकार है। यह पोस्ट अल्लाह पर कामिल यक़ीन और ईमान क़ायम रखने के लिए काफी है।
  • Gafoor Hussain, Kamran Rafiq भाई,ऊपर उर्दू में नीचे हिंदी में इकबाल साहब का शेर लिखा है उससे ही समझ जाइए!!

Khursheeid Ahmad शानदार पोस्ट , इसी समरकंद ने भारत को मुग़ल दिए जिन्होंने हमें ताजमहल दिया और मोदी जी को झंडा फहराने के लिए लाल किला दिया.

  • Mohammed Seemab Zaman, Khursheeid Ahmad साहेब, इक़बाल के शेर को गौर किया। “बदिउज़्ज़मॉ साहेब लिखते हैं “समरकंद” के इस्तलाह से इकबाल के कलाम मे सिर्फ एक शेर है। उस शेर का मानी आप ने लिख दिया। तैमूर की तुरबत (क़बर) से एक नूर निकला, मुग़ल निकले। मोगल ने भारत को ताजमहल दिया, झंडा फहराने के लिए लाल क़िला दिया। अब उज़बेकिस्तान को एक नूर “शौकत मिरज़ा” दिया है।
  • Misbah Siddiki, Mohammed Seemab Zaman,
  • ،محترمکوئی تقدیر کی منطق سمجھ سکتا نہیں ورنہنہ تھے تُرکانِ عثمانی سے کم تُرکانِ تیموری.یہ وہ کسک تھی علامہ کے دل میں کہ اپنی وفات سے جند ہفتے پہلے تک اچانک سے بڈی بیچنی کے ساتھ ایک سوال دو بار کیا”وسط ایشیاء میں 4 کروڑ تُرک آباد ہیں-ان کا اتحاد کیوں ممکن نہیں؟”علامہ نے قوم کا ماضی ہی نہیں دیکھا تھا بلک مستقبل سے بھی خوب آشنا تھے

Jamshed Jamshed ये जगहें मेरे दिल में सुकून भर देती हैं…रगों में दौड़ता ख़ून अपनी ख़ाक को याद करने लगता है. शानदार पोस्ट.

Islam Hussain बाबर एक ज़हींन हिम्मती और बाअख़्लाक शख्सियत का मालिक था उसने हिन्दुस्तान में बेहतरीन वसियत की थी आज मैं बाबर के वसीयतनामे को फिर से पढ़ रहा था मेंने बाबरनामा 40 साल पहले पढ़ी थी यह मेरी पसंदीदा किताब रही है. वैसे वंदेमातरम वाले तो योरोप तक को अखण्ड भारत में मानते हैं, फिर मुग़लों को अपना क्यों नहीं मानते।

  • Mohammed Seemab Zaman, Islam Hussain साहेब, इकबाल का शेर ग़ौर किया। इकबाल क्या कह कर चले गये, “उठा तैमूर की तुरबत से एक नूर” आप उसी नूर बाबर की किताब पढ रहे हैं। वहॉ घोड़े पर तैमूर और बाबार का स्टैच्यू चौराहों पर है।अभी तो बीस पिरामिड ही खूला है, दो-चार और खूलने दिजिये, यूरपो तो नही मिस्र तक अखण्ड वंदेमातरम का नारा लग जाये गा!

Anish Akhtar शानदार…दो दिन से मैं उज्बेकिस्तान न्यूज़ पोर्टल पर ये न्यूज़ ओर फ़ोटो देख रहा हूँ आज आपकी पोस्ट ने दिल खुश कर दिया.

Afreen Noor Baba article ki ruh Iqbal ka sher hai, Maşallah ❤️

  • Mohammed Seemab Zaman हम जब वहॉ 2016 मे गये थे तो बहुत छोटा शहर था। मौलाना रूमी के मज़ार के बाहर एक पुरानी मस्जिद renovate हो रही थी और कुछ दूर पर एक नया बाज़ार बना था। छोटा छोटा होटल था। हम को तो बहुत छोटा शहर लगा, मगर बहुत साफ सुथरा था। अब 5-6 साल मे अब बना दिया होगा modern city.

Salim Khan अल्लाह आपको खूब लम्बी उम्र दे ताकि नस्लों की तरबियत होती रहे और उनका जहन रोशन रहे.

Sirajuddin Zainul बायजीद यलिदरम को तैमूर ने ही पीजरे में कैद किया था,उस्मानिया से जंग ना करते तैमूर तो शायद स्पेन को उस्मानिया लोग बचा लेते,पर तैमूर से लड़ने में ब्यास्ताता के वजह कर स्पेन खत्म हो गया और उस्मानिया भी खत्म ,बहुत नुकसान हुवा मुस्लिम कौम का इस दौर में

  • Mohammed Seemab Zaman आप को यह पता है या नही, तैमूर Georgia तक पहुँच गया था। अरदोगान Georgia के हैं, जिन का खानदान इसतांबूल मे आ कर बसा।हम ने तो पढा है कि बनू उम्मिया के बहुत लोग भाग कर स्पेन मे पनाह लिया। कुछ लोगो ने तवारीख़ को बहुत उलझा दिया।बनू उम्मिया के दौरे ख़िलाफ़त मे (661-750 AD) समरकंद और बोखारा दोनो तुर्किस्तान का एलाक़ा कहा जाता था।लिख दें गें कभी इस पर।

Islam Hussain बाबर के बारे में समझदार लोग इस स्रोत को देख सकते हैं,
बाबर की वसीयत
ऐ मेरे फ़र्जन्द, सल्तनत के स्थायी रखने की गरज़ से यह वसीयतनामा लिखा गया है।
हिंदुस्तान का मुल्क भिन्न-भिन्न धर्मों का गहवारा है। उस अल्लाह की तारीफ़ है कि जो न्यायवान, दयावान और महान है कि जिसने तुझे बादशाही बख़्शी है।
यह मुनासिब है कि तू अपने दिल से किसी धर्म की तरफ़ कोई बदगुमानी है तो उसे निकाल दे और हर मिल्लत अथवा सम्प्रदाय के साथ अपने तरीक़े से उनका न्याय कर, ख़ासतौर पर गाय की क़ुर्बानी से बिलकुल परहेज़ कर, क्योंकि इससे तू हिंदुस्तान के दिल को जीत लेगा और इस मुल्क की रय्यत का दिल इस अहसान से दबकर तेरी बादशाही के साथ रहेगा।
तेरी बादशाहत में सभी मज़हबों के जितने मंदिर और पूजा घर हैं, उनको नुकसान न हो। इस तरह अदल और इंसाफ़ करना जिससे रय्यत शाह और शाह रय्यत से आसूदा रहे। इस्लाम की तरक़्क़ी ज़ुल्म की तेग़ के मुक़ाबले अहसान की तेग़ से बेहतर हो सकती है। शिया और सुन्नियों के झगड़ों को नज़रअन्दाज़ करना क्योंकि इन झगड़ों से इस्लाम कमज़ोर होता है। प्रकृति के पाँच तत्त्वों की तरह तमाम धर्मों के पैरोकारों के प्रति व्यवहार करना ताकि सल्तनत का जिस्म तमाम बीमारियों से पाक और साफ़ रहे। हज़रत तैमूर के कारनामों को अपनी नज़र के सामने रखना ताकि सल्तनत के काम में तुम पुख़्ता हो जाओ।
और हमारा काम तुम्हें सलाह देना है।

हिजरी 933, जमादि-उल-अव्वल की पहली तारीख़, (11 जनवरी, 1529 ईस्वी)
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स्रोत – भारतीय संस्कृति – मुग़ल विरासत : औरंगज़ेब के फ़रमान, बी एन पांडेय, हिंदी अकादमी, दिल्ली- 2017
अशोक पाण्डे जी की पोस्ट 21.3.22.

Huzaifa Hussain Khan बहुत खूब सर.

Azaz Siddiqui बेहतरीन जानकारी sir.

Firoz Siddiki बहुत खूब सर अल्लाह जजाये खैर दे आपको.

अब्दुल हमीद बेहतरीन लिखा सर.

Mohammad Aarif JazakAllah

शाएक़ मलिक बेहतरीन जानकारी

Mohd Arif shandaar post

Mohd AhmedMashllah Allah Shokat ji ka umrah kabool kre.

Parwez Alam बेहतरीन पोस्ट

Reyaz Ahmad Khan उम्दा और ज्ञानवर्धक

Gafoor Hussain बहुत खूब सर.

Ashafaque Alam जज़ाकल्लाह ख़ैर.

Rafeek Ahmad Ameen

Iftekhar Anjum Masha Allah

Asif Anees बेहतरीन पोस्ट

Azad Hashmi समरकंद और बुखारा से इस्लाम का पुराना रिश्ता है इस शहर ने इस्लामी दुनिया को बहुत से नूर दिये..! इल्म व अदब का मरकज़ रहा है.! तैमूर की कब्र भी यहीं है।

Mdirshad Mdirshad और इसी मुल्क में दुनिया के कदीम मदरसों में से एक मदरसा मदरसा मीर ए अरब भी है.

मियाँ भाई आज हिंद में मुस्लिम लोग तैमूर और बाबर नाम रखने से भी डरते है. लेकिन ये कितने हिम्मत देने वाले नाम है