Post of 13 May 2023

The Economist, London अपने इस हफ्ता के लेख मे लिखता है कि 2002 गुजरात दंगा के बाद “Vibrant Gujarat” summit का फैशन भारत मे शुरू हुआ।मगर यह इंवेस्टर मेला बिलबोर्ड और विज्ञापन कंपनी को फायदा पहुँचाता है, किसी राज्य मे कोई निवेश आजतक इस भव्य नाटकीय समारोह से नही हुआ।

अब तो यह Vibrant छूत की बिमारी, भारत के अन्य राज्यों मे भी फैल गई है। जैसे 2019-20 “Magnetic Maharashtra” हुआ, छत्तीसगढ़ मे “Investgarh Chhattisgarh”, उत्तर प्रदेश मे “Global Investors Summit-2023” और हाल मे आंध्रा के मुख्यमंत्री रेड्डी ने “Advantage Andhra Pradesh: Global Investors Summit-2023” किया आदि इत्यादि।

एकोनौमिस्ट लिखता है कि आंध्रा समिट मे कंपनी के CEO का एयरपोर्ट पर नाच गाने तथा अच्छे खाने से भव्य स्वागत हुआ और दो दिन बाद अखबार मे छपा रेड्डी ने 352 MoU ($159 billion) के निवेश का हस्ताक्षर किया और लोग पढ कर आनंदमयिए और गौरवमयिए हो गये, मगर यह सब अंतोगत्वा झूठ साबित होगा क्योकि कंपनी निवेश नही करती है, केवल MoU हस्ताक्षर कर चली जाती है।

मेरा कहना है कि देश और दुनिया के व्यवसायी या निवेशक जानते हैं कि जिस देश मे पॉच साल 2014-19 मे चुनाव जीतने के कारण 27 भारतीय सरकारी बैंक का $91 billion bad loans (#NPA) होता है और 15 सरकारी बैंक ख़त्म हो जाता है, वहॉ निवेश करना बहुत संकटमय (risky) है।

पिछले तीन साल मे सरकार ने बचे 12 सरकारी बैंक को 2.6 trillion रूपया ($31 billion) की सहायता दे कर पुनर्जीवित किया है मगर इस का भी लाभ देश को नही होगा।

#नोट: मेरा मान्ना है कि देश मे दंगानवमी का समारोह, चीन का विस्तारवादी होना, मथुरा-काशी मे भव्य मंदिर निर्माण तथा 2024 का चुनाव अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत मे निवेश जोखिमपूर्ण तथा घाटे का सौदा साबित होगा और कोई नही आये गा।
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Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman आज के कर्नाटक चुनाव परिणाम से बहुत कुछ बदलने वाला नही है क्योकि “Forget Global Bengaluru”. हॉ बर्बादी थोडा रूक जाये गी, इस से ज्यादा कुछ नही होगा।

दुनिया का राजनीति बदल चूकी है खास कर एशिया का जिओपौलिटिकस सौ साल बाद बदल गया है और इस नई दुनिया मे भारत ने अपना मुक़ाम खो दिया।

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