Post of 14 July 2023
4 जुलाई को चीन ने घोषणा किया कि वह गैलियम (Gallium) और जर्मेनियम (Germanium) के निर्यात पर प्रतिबंधित लगा रहा है और बिना लाइसेंस के किसी देश को निर्यात नहीं करें गा।
गैलियम और जर्मेनियम 13 युद्ध सामग्रियों में आता है जिस का केवल चीन दुनिया मे क्रमशः 98% और 60% उत्पादन करता है और निर्यात करता है। यह दोनों सामग्रियाँ लेजर, रडार और जासूसी उपग्रहों, सैन्य उपकरणों तथा जेट इंजन वग़ैरह में इस्तेमाल होतीं है।रिन्युएबल ऊर्जा के लिए निकल (Nickel) या लिथियम (Lithium) बहुत ज़रूरी है जिस के उत्पादन में चीन एक महत्वपूर्ण देश है।
यह युद्ध सामग्रियॉ दुनिया मे शुद्ध रूप मे नहीं पाये जाते हैं।गैलियम और जर्मेनियम ज़िंक ओर्स (Zinc Ores) मे थोड़ी मात्रा में पाया जाता है। वैनेडियम (Vanadium) 60 से अधिक विभिन्न खनिजों में पाया जाता है। इसलिए इन सब सामग्रियों का उत्पादन महंगा, उच्च तकनीक तथा प्रदूषणकारी है।
नीचे ग्राफ़ देखे जिस मे 13 युद्ध सामग्रियों में टौप तीन सामग्रियों का चीन 60% से अधिक का दुनिया मे हिस्सेदार है और इनमें से आठ खनिजों के लिए चीन दुनिया का सब से बड़ा उत्पादक है।
अब पश्चिमी देश चाहते हैं कि वे भी कुछ युद्ध सामग्री का उत्पादन करें ताकि चीन पर निर्भर नहीं रहें।अमेरिका टेक्सास में कुछ दुर्लभ-पृथ्वी धातुओं के लिए एक शुद्धिकरण फ़ैक्टरी लगा रहा है जो 2025 में बाज़ार में आये गा। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा, केवल दो पश्चिमी देश हैं जिनके पास इन दुर्लभ सामग्री के अच्छे भंडार हैं, बाक़ी सब अफ़्रीका या अफ़ग़ानिस्तान में हैं।
#नोट: नीचे ग्राफ़ देख कर बताए कि भारत का विश्वगुरु का सपना कब पूरा होगा? क्या झूठा इतिहास गढ़ना, एनआरसी, लांचिंग, शहर का नाम-पता बदलना, तीन तलाक़, कूनिफ़ॉर्म सिविल कोड वग़ैरह हम लोगों को विश्वगुरु बना दे गा?