Post of 7 February 2025
भारतीय अंधे दिल के बुद्धिजीवी, आज दो दिन से ग़म और ग़ुस्सा मे लिख रहे हैं कि “कनाडा अमेरिका से नही डर रहा है, मेक्सिको अमेरिका से भिड़ गया, कोलंबिया ने अमेरिका के मंत्री को जवाब दिया है; मगर 140 करोड़ आबादी वाला देश क्यों चीन और अमेरिका से डर रहा है? क्यों चुप्पी का उपवास रखे हुआ है?”
*लिखने वाले यह भूल जाते हैं कि पाकिस्तान का नाम अगर सराकर ले ले तो यही बुद्धिजीवी लोग सरकार से ज़्यादा पाकिस्तान और मुस्लिम के खेलाफ आतंक देश मे फैला देते हैं। आज 22 साल से क्रिकेट का मैच पाकिस्तान मे नही खेले गें क्योंकि वह आतंकी।
आज अमेरिका “प्रवासी” को निकाल रहा है तो अमेरिका को कुछ नही बोल रहे हैं, “भारतीय प्रवासी” को ही आंतंकी टीवी पर बोलने लगे। जा रे बेशर्म लोग, चुल्लू भर पानी मे डूब मरो।
*यही अंधे दिल के लोग उर्दू नाम वालो पर पहले इल्ज़ाम लगाते थे कि रहे गा भारत मे खाये गा भारत और नाम लेगा पाकिस्तान का। अब कहने लगे कि रहे गा यहॉ और नाम लेगा सऊदी अरब का।
इन अंधे बुद्धिजीवियों को पता नही है कि 1973 तेल संकट के बाद अगर वाजपेयी पास्पोर्ट का हर राज्य मे आफिस नही खलते तो सऊदी अरब (मिडिल ईस्ट) से विदेशी मुद्रा नही आता। अंधे दिल वालो को पता नही है कि तेल संकट के बाद भारत का बजट इंदिरा विकास पत्र, पोस्ट आफिस बचत खाता और कुवैत और सऊदी अरब के मुद्रा से बनता था। आख़िर मे नौबत 1991 मे सोना गिरवी रखने पर आ गया जिस का नतीजा था कि भारत रत्न नरसिम्हा राव ने चीन के एलओसी को एलएसी बना कर देश बचाया।
*चालीस साल मे देश ने केवल “मज़दूर और लेबर” पैदा कर पूरी दुनिया मे मलेशिया से लेकर, ग़रीब अफ्रिका तथा उत्तर अमेरिका मे छिंट दिया। चीन भी तो 140 करोड़ आबादी का देश है, कहॉ चीन ने पूरे दुनिया मे “मज़दूर और लेबर” छींटा?
कितने शर्म की बात है कि उत्तर प्रदेश का मज़दूर सुडान जो 20 साल से डिसट्रब है वहॉ ईख के खेत मे काम कर रहा था या कोंगो में यूरेनियम और दुर्लभ मेटल के खाद्यान्न मे मज़दूरी कर रहा है। पूरा मिडिल ईस्ट, दुबई और क़तर मे मज़दूरी कर रहा है और देश को विदेशी मुद्रा भेज रहा है।
*मगर हर मामले मे अलपसंखयक को यह कथित बुद्धिजीवी “तख़्त-ए-मशक” बना कर अपने को ज्ञानी और सेकुलर साबित करते रहते हैं,
“मुझ पें इल्जाम इतने लगाये गये
बेगुनाही के सबूत जाते रहे !!”
#नोट: प्रवासी भारतीय पर रोना बंद किजये। यह भारत का अमृत काल है और ट्रम्प का स्वर्णकाल, बहुत कुछ होना बाक़ी है, जो चालीस साल से अंधे हो गये दिल मे मुक्कमल रौशनी ला देगा, जय हिंद।
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Some comments on the Post
आज लोग रो रहा है कि 60 लाख और एक करोड़ खर्च कर लोग अमेरिका क्यों जा रहा है? वह इस वजह कर जा रहा है कि 1930 से देश मे उर्दू नाम वालो के खिलाफ दंगा का रिवाज शुरू कर उन का घर और बिज़नेस जलाने की आदत ने 2015 मे हरियाणा मे जाट का हज़ारो करोड़ का बिज़नेस जला दिया। 2020 मे ट्रम्प के भारत दौरा के समय दिल्ली मे दंगा करा कर सरदार जी का करोड़ो का शो रूम जला दिया तो क्या करे पंजाब और हरियाणा का लोग? ग़रीब उत्तर प्रदेश का लोग तो 1-2 लाख देकर मिडिल ईस्ट, अफ्रिका, सुडान वगैरह मे मज़दूरी करने चला जाता है।
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