जब से होश संभाला पाकिस्तान, कशमीर, बाबरी मस्जिद, गाय हमारी माता है गफूरवा उस को खाता है, यही सब भारत के अखबार, बूद्धिजिवी, सेकुलर, समाजवादी लिखते या नारा लगाते रहे और अपने को अपने गरोह मे चाणक्य साबित करते रहे और दुनिया का बडा विचारक समझते रहे। 22 करोड आबादी जहॉ मोगल का बनाया आठवॉ अजूबा ताजमहल है जहॉ का शासक जोगी हैं और सोंच और ज़बान देखये तो अफसोस होता है।
यही सब गाय गोबर वाला आस्तिक, नास्तिक, बूद्धिजिवी या विचारक आज लगा फ्रांस के असफल शडयंत्र पर अपना ज्ञान देने जो आजादी के बाद से गाय-गोबर और कशमीर, पाकिस्तान, मंदिर तक अपने सोंच को समित रखे थे और शौचालय बनाने को अपने achievement समझाते रहे और चीन को “विश्व गुरू” और बंगलादेश बंगाल टाइगर बना दिया।
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भारत महान देश जिस को मोगल और अंग्रेज वास्तुकला, पोस्टल टिकट, ज़ी टी रोड, बिजली, स्वास्थ, रेल सब कुछ देकर गया मगर वह वही गाय गोबर करता रहा और अपनी पूरानी चीज़ और शान जैसे गौतम बुद्ध, अशोक, तकक्षिला किसी पर न खोज किया न शोध और झूठ कहानी बनाता रहा।
कल अमेरिका के Time magazine ने पेरू (Peru) में 2200 (गौतम बुद्ध के 200 साल बहुत बाद का है) पहले पहाड़ पर 120 फ़िट लम्बी बिल्ली की तसविर जो बालू हटाने के बाद मिली है को छापा है। पेरू का Archeological विभाग इस को बहुत बडा खोज बता रहा है। यह पेरू की Nazca Lines पूरानी सभ्यता है।
इजिप्ट अपनी सात हजार साल की खोज कर के दुनिया को बता रहा है देखो मेरी पुरानी सभ्यता! नीचे 4200 साल पुरान सुरज देवता “रे” (Re) की बिल्ली रूप धारण कर नाग को मार रहा है क्योकि नाग देवता (Apophis) सूरज देवता को दूसरा जन्म नही लेने दे रहा था।
तीसरी तसवीर आगरा मे मोगल बादशाह शाहजहॉ के बने महल के पिलर मे बने कशिदाकारी है।
2-11-2020 Post on Facebook
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Some comments on the post
Ajai Nigam Dear Sir,. Very nice information….But para 3 is biased ……..Gautam Buddha’s time is fixed around 563 BC to 480 BC …….. Hence your statement in para 5 ….200 BC मतलब गौतम बुद्ध से बहुत पहले… is factually incorrect…….But I think this happened in zeal to show Peruvian and Egyptian cultures at higher level than indian one……Statement about Taxila, Ashok etc also seems biased
- Mohammed Seemab Zaman, Ajai Nigam साहेब सही कर दिया।sorry गलती से लिखा गया 200 साल पहले का है बलकि यह 200 बाद का है। कभी शक नही किजये गा और biased शब्द नही लिखये।
Tanveer Aalam Teli सर कोई शब्द नहीं मिलता आपकी अच्छाई तारीफ शुक्रिया बयां करने के लिए इसलिए पोस्ट पर आते हैं लाइक करते हैं और निकल जाते हैं हर एक पोस्ट एक से बढ़कर एक अल्लाह पाक आपको सेहतमंद रखे हैं
- Salim Khan, Tanveer Aalam Teli सहमत ही भाई आपसे। हम भी बस Mohammed Seemab Zaman सर को पढ़ते है और सिख रहे है।अल्लाह ताला उन्हें अच्छी सेहत दे और अमान में रखे।
Neeraj Singh हमे अपनी वरासत और विरासत पर गर्व होना चाहिये। पर वह विरासत की किस काम की झूठ की बुनियाद पर टिकी हो। धर्म से मुझे कोई लेना देना नहीं फिर चाहे वो आपका इस्लाम हो या मेरा हिन्दू। लेकिन एक बात मैं दृढ़ विश्वास के साथ कह रहा हूँ कि फर्जी हिंदुत्व के ठेकेदारों की विचारधारा ने हमेशा किसी न किसी वरासत और विरासत का अतिक्रमण कर कब्जा ही जमाया और बाद में उस कब्जे को दुनिया में श्रेष्ठ बताया है। इस पूरी लुच्चई को विश्वगुरु कहते है
- Mohammed Seemab Zaman, Neeraj Singh साहेब अपने कल्चर पर तो हम भारतीय मुस्लिम को इतना विश्वास है की हम अपनी बहन और बेटी को लाल कपडा मे शादी करते हैं जब के दुनिया मे क्रिस्चन, मुस्लिम, यहूदी, जापानी, चीनी सब सुफैद कपडा शादी मे पहनती है। यह कभी बहुसंख्यको ने गौर किया है।हम कितना लिखे, लिखने पर उतरे तो हजार मिसाल दे दे गे जो आज तक अरब हिन्दुस्तानी के बड़ाई मे बोलते हैं। आज तक अरबी हमारे लोहा की तारीफ़ करते हैं।
Rasheed Ahmad Is mamle main Balraj Kataria sahab se behtar koi nahi bata sakta hai
- Balraj Kataria, Rasheed Ahmad हमारे देश का इतिहास कम से कम सिंध वादी सभ्यता का तो मिल ही रहा है, जो कि आज से पांच हज़ार साल पहले बहुत ही विकसित सभ्यता थी। यह बड़े ध्यान देने वाली बात है कि सिंध वादी के लोगों को अर्थमैटिक और अलज़ेब्रा आता था, डेसीमल, ओक्टल और बाईनरी अर्थमैटिक आता था, आज की सारी कम्प्यूटर साईंस इसी बाईनरी अर्थमैटिक पर बेस्ड है।लेकिन इन बातों को आप छोड़ दें, यह सोचें कि यह उच्च विकसित शहरी सभ्यता थी, तथा शहरों में ड्रेनेज़ सिस्टम था !!हर घर के आगे कचरा डिस्पोजल बर्तन होता था, और आज हमारा इंडिया गंदगी से भरा पड़ा है !!अमेरिका (नई दुनिया), आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड (नई बसावट) और छोटा सा योरप तथा अफ्रीका को छोड़कर जापान, जोर्जिया, अफ़गानिस्तान, चीन, थाईलैंड, भारत, सिलोन, सारे इलाक़े में गौतम बुद्ध के निशान भरे पड़े हैं।गौतम बुद्ध और महावीर के बाद मुस्लिम और मुग़ल हुकूमतों ने सड़कें, क़िले, कब्रगाह तथा बहुत कुछ बनाया है। गौतम बुद्ध से लेकर सल्तनत (या मुग़ल भी) काल के बीच में कहीं न कहीं संस्कृत भाषा और इसके ग्रंथ तथा रीत फिट होनी चाहिए, लेकिन इस रीत में जितना भ्रम, संशय और सवाल है, उतना दुनिया की किसी रीत में नहीं है !!गौतम बुद्ध से थोड़ा ही पहले ईरान, अफ़गानिस्तान में पारसी या ज़ेंद अवेस्ता रीत रही है, हमको उस रीत के निशान ज़मीन पर उकेरे हुए मिलते हैं, लेकिन संस्कृत रीत के निशान हमको बहुत पुराने समय के नहीं मिलते हैं।लेकिन दिक्क़त यह भी है कि हमारी इस मांग पर कि संस्कृत रीत की ऐतिहासिकता पर कोई स्वस्थ चर्चा होनी चाहिए, तो इस पर संस्कृत रीत वाले सहमत नहीं हैं।
- Mohammed Seemab Zaman, Balraj Kataria साहेब आप ने सही लिखा। इस पोस्ट के बाद मेरा नेट बच्चों के वजह कर खराब हो गया तो देर से इस पोस्ट पर जवाब दे रहे हैं। आप ने सही लिखा है सारी बात, “इस पर संस्कृत रीत वाले सहमत नही हैं” हम तो चाहते हैं कुछ निकले ताकि हम भी गर्व से कहे इजिप्ट के लोगो को मेरा पास भी बहुत पुराना संस्कृति निकली है। यह देखो, वह देखो।हम इस पोस्ट का अभी एक और पोस्ट लिखते हैं।
Irfan Zibran सर मिस्र को सभ्यता में तो 3100ईसा पूर्व से राजाओं के व्यवस्थित क्रम मिलता है जबकि हमारे यहां तो कुछ भी ऐसा नहीं मिलता है।बल्कि यही नहीं पता है कि शासन कौन करता था।