आज फ्रान्स के भूतपूर्व राष्ट्रपति निकोलस सारकोज़ी (2007-2012) ने स्पेन मे कहा है कि यूरोप बहुत तेज़ी से गिरावट की ओर बढ रहा है और दुनिया का धुर्व/ केंद्र तेज़ी से “पश्चिम से पूरब” की तरफ बढ रहा है। अब यूरोप दुनिया का केंद्र नही रहा।उनहोने कहा की यूरोप के सभी राजनीतिक पार्टी को अब दर्शक बन कर देखना नही हो गा मगर इस से निकलने का रास्ता ढूंढना हो गा। अतीत को भूल कर भविष्य के बारे मे सोचना होगा।
सारकोज़ी ने कहा बरबादी का कारण अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नही हैं मगर वह एक “चिह्न” या निशानी ज़रूर हैं। कुछ दिन पहले फ्रान्स के राष्ट्रपति मैकरोन ने भी “यूरोपीय सभ्यता” को दोबारा ज़िन्दा करने की बात कही थी। वह यूरोपीय ऐकता पर बल दे कर ब्रेक्जिट को पागलपन कहा था।
मगर इस दोनो ने यह नही कहा, सौ साल बाद क्यो यूरोप अब दुनिया का केंद्र नही रहा और अब यह क्यो पश्चिम से पूरब की ओर चला गया। मेरे पिता जी कहते थे की यूरोप ने जितना दुनिया मे “ख़ून-ख़राबा” 20वी शताब्दी मे किया है उतना किसी शताब्दी मे नही हुआ था।
यूरोप ने दो विश्व युद्ध लड़ा और औटोमन शासन (1918) के बाद सब मुस्लिम देशो को बन्दर बॉट कर लिया और दुनिया मे एक नये नाम “इस्राईल” का देश बना दिया। इतिहास मे इस नाम का कोई देश कभी नही रहा। वह मार काट करता रहा और 1973 के लड़ाई के बाद तेल का दाम 378 गुणा बढ गया, “पूरब के देश” को तेल एक हथियार मिला।फिर यूरोप उस का बदला लेने के लिए 1990 से मिडिल ईस्ट, बोसनिया, सुडान, अफगानिस्तान, तुर्की मे मार काट करते और करवाते रहे। सिरिया मे फँस गये और “Death of Brand America” और “Collapse of Europe” हो गया।
इस बीच चीन आर्थिक शक्ति तथा हाईपर पावर हो गया। मिडिल ईस्ट, सेंट्रल ऐशिया, अफ्रीका तो अमेरिका-यूरोप से परेशान था और विकल्प खोज रहा था। महाथीर मोहम्मद ने 2013 मे चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग को Silk Road शुरू करने का सुझाओ दिया और आज सारकोज़ी कहने लगे “World axis is shifting from the West to the East”.