Post of 22th September 2021
1935 मे भागलपुर मे दंगा करा कर मुस्लिम कारोबार को ख़त्म किया गया।फिर बटवारा कराया गया और आज़दी मिली और 72 साल तक मुस्लिम व्यवसाय को जमशेदपुर, अलीगढ, मुरादाबाद, सूरत, अहमदाबाद, दिल्ली, हरियाणा वगैरह वगैरह मे जला खोडा कर ताला, पीतल, हथकरघा, चूड़ी, मोटर पार्टस, चमड़ा उद्योग के छोटे और मझौले बिजनेस को ख़त्म कर देश की सैकडो प्रतिशत GDP को #जला दिया गया मगर #गर्व किया गया।
72 साल से दंगा द्वारा देश के GDP को समय समय पर जलाया गया मगर कोई प्रघानमंत्री, मुख्यमंत्री या अर्थशास्त्री आज तक यह बात नही बोला, मगर चार दिन का साऊथ अफ्रिका मे दंगा हुआ तो राष्ट्रपति रामापोज़ा जी ने कहा उन के देश की GDP 3-4% जल कर ख़त्म हो गई।
हम लोग भारत मे मुस्लिम नफरत फैला कर GDP जलाते रहे और गर्व करते रहे उधर चीन 1965 से 5-6% GDP growth करता रहा और 1989 से 10-12% GDP growth कर के 2019 तक 130 करोड आबादी को ग़रीबी से निकाल कर आज सुपर पावर हो गया और मेरे दरवाजे पर मुर्ग़ा खा कर शराब पी कर खडा खडा मूत रहा है।
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अब जब चीन मुस्लिम देशो को मिला कर बेल्ट और रोड बना कर दुनिया मे समुंदर के सुरक्षा या ट्रेड के महत्व को ख़त्म कर दिया तो हमारे तथाकथित देशभक्तों की आँख खूली के हम तो बेवक़ूफ़ी कर गये मुस्लिम तिरस्कार कर के।तो अब छोटा फितना लिंचिंग, गाय, गोश्त, ज़ाकिर नायक, तबलीगी जमात, मौलाना को छेड छाड कर मुस्लिम समाज के confidence को ख़त्म करने की चाल शुरू किया है ताकि मध्यपूर्व के देश चीन को तवज्जोह नही दे और भारत के तरफ झूके।इस फितना से भी GDP गिरे गी।
मुस्लिम समाज को घबराने की ज़रूरत नही है यह सब परिशानी वक़्ती है।1857 के बाद मुस्लिम समाज अपने खेलाफ देश और दुनिया मे इस से बडा बडा फितना देख चूका है।हाल मे 40 साल अफगानिस्तान मे मार-काट का फितना देखा है और आज फितना करने वालों का हशर भी देख रहे हैं।
सबर से काम लिजये, अपना अखलाक़ सभों के साथ अच्छा रखिये, कठिन समय गुजर गया है।दुनिया बदल गई है और अब फितना करने वाले यूरोप और अमेरिका का जमाना नही रहा।यह एशिया की सदी है जिस मे बडे आबादी वाले देश भारत और चीन 80-90% तेल और गैस के लिये दूसरे देशों पर निर्भर है।अब कोई देश मुस्लिम के खेलाफ फितना पैदा कर सुपर पावर नही बन सकता है, चाहे वह अमेरिका हो, या चीन या भारत।
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Some of the comments on the Post
Mozaffar Haque सुबहान अल्लाह … बहुत उम्दा!!
देख कर रंग-ए-चमन हो न परेशाँ माली
कौकब-ए-ग़ुंचा से शाख़ें हैं चमकने वाली
ख़स ओ ख़ाशाक से होता है गुलिस्ताँ ख़ाली
गुल-बर-अंदाज़ है ख़ून-ए-शोहदा की लाली
रंग गर्दूं का ज़रा देख तो उन्नाबी है
ये निकलते हुए सूरज की उफ़ुक़-ताबी है
Ashutosh Chandra Thakur सर अंदरूनी मसलों में ये इतना ज्यादा बढ़ गया है कि ये जब तक पूरी बर्बादी हो ना जाए तब तक खतम नही होने वाला ।एक इस्लामोफोबिया ही बांध कर उन कट्टर लोगों को रखा हुआ है जो 110 रुपए का पेट्रोल , 1000 का गैस , 250 का सरसों तेल खरीद कर भी चूं शब्द नहीं बोल पा रहे ।जब ऐसे शासक ( मोदी , शाह , योगी ) को कोई महामानव बताने जैसी बात करता है तो जी करता है कि चप्पल टूटने तक मारूं ।आज का पोस्ट देखिए मेरा सर , ये आंखों देखा हाल है और पता नहीं ऐसे कई सिचुएशंस है ।
Shehaab Zafer जज़ाकल्लाह सर बहुत शुक्रिया आपके इन तजज़ियों से कौम को बड़ा हौसला मिलता है क्योंकि इन तमाम फ़ितनों से लोगों का मोराल काफी नीचे होता दिख रहा था खैर इन सबके लिए पेशनगोई करता हुआ मेरा सिर्फ एक शेर है समात फरमाइएनफ़रतें नफरतों को खाएंगीइनको ये फितरतें ही खाएंगी
Saeed Khan Arshi “भारतीय मुसलमानों को सेकुलरिज्म की जितनी जरूरत है उससे कहीं ज्यादा भारत माता को है”–यह आपने ही कहा था सर मुझे हमेशा याद रहता है।वैसे भी दिया जब आखिरी वक्त पर आता है तो ज्यादा फडफड़ता है.
Shalini Rai Rajput दुनिया को आर्थिक दृष्टिकोण से देखना ही दूरदर्शिता है मगर यह दूरदर्शिता से सब दूर रहे ।जो विषय मानवीय जीवन के उत्थान से सीधे सम्बन्धित थे उन्हीं पर आघात बहुत भारी पडा है।
Hisamuddin Khan लाल मोहम्मद बीडी वालो का कारोबार और शहर मे रसूख खत्म करने के लिये जबलपुर फसाद और मुस्तफा रशीद शेरवानी कांग्रेस एम पी और जीप फ्लैश लाईट मालिक का कारोबार खत्म कराने और शहर मे मुस्लिम बाहुल्य को खत्म करने के लिये एलाहाबाद मे फसाद भी कांग्रेस की सरकारो मे ही हुआ।