7th October 2021 Post

“اے موج دجلہ تو بھی پہچانتی ھے ھم کو
اب تک ھے تیرا دریا افسانہ خواں ھمارا “

“ए मौज दजला तू भी पहचानती है हम को
अब तक है तेरा दरिया अफ़साना खॉ हमारा” (इक़बाल)

दो हजार के क्रिस्चन मज़हब के इतिहास मे पोप फ़्रांसिस मेसोपोटामिया (इराक़) इस साल 5 मार्च को पहली बार गये। पोप फ़्रांसिस के इराक़ यात्रा के उपलक्ष्य मे वैटिकन एक मेडेल जारी किया है जिस मे मेसोपोटामिया साम्राज्य की दो दरिया दजला (Tigris) और फेरात (Euphrates) और खजूर का पेड तथा पैग़म्बर इब्राहिम अलैहिस्सलाम का नाम ABRAHAM लिखा है।

मेसोपोटामिया पॉच हजार साल से अधिक पूराना (3100 BC) सुमेरियन, असेरियन और बेबिलोनियन का मूल्क रहा है। यहॉ के शहर सुमेरिया मे इब्राहिम अलैहिसल्लाम पैदा हुऐ थे।सुमेरिया जबान मे इब्राहिम अलैहिसल्लाम को अब-राम (Ab.Ram) कहा जाता था और है। नीचे तसवीर मेडल और मेसोपोटामिया का नक्शा देखें।

#आज से पॉच हजार साल पहले 3,000 BC मे इराक़ के सुमेरियन लोग पिपल के पत्ता का सोना का हार पहनते थे, जो आज बग़दाद के म्यूज़ियम मे रखा है।यानि पिपल का पेड वहॉ उस वक्त था और आज भी पूरे कौकस पहाड़ी और अज़रबाइजान मे पाया जाता है।

#चौथी तसवीर 2,000 BC मे मेसोपोटामिया की औरतें “तकली” से सूत काटती देखी जा सकती हैं, जो हम लोग राष्ट्रपिता गॉधी जी के याद मे मिडिल स्कूल मे तकली से सूत काटते थे और होम साईंस सनात्क मे प्रैक्टिल होता था।
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कल मेरे पोस्ट पर Shalini Rai Rajput साहेबा ने लिखा के शोध से पता चला है कि सिंधु घाटी सभ्यता का DNA मेसोपोटामिया के डीएनऐ से मिलता है, यानी हमारी इस पूरानी सभ्यता के लोग भी अरब से पलायन कर के आये।यह सभ्यता भी अरब और वहॉ के देवी-देवता, पूजनीय पिपल के पेड वगैरह से जुड़ी है।आजकल कहा जाता है कि राहूल गॉधी मुसलिम हैं और भारतीय मुस्लिम के पूर्वज हिन्दु थे मगर मिस्र के पिरामिड के भगवान, मेसोपोटामिया, अरब और सिंधु घाटी के शोध को पढ कर पता चल रहा है कि हिन्दु खूद विदेशी हैं।

Map of Mesopotamia