Post of 4 and 6 December 2024
FALL OF BASHAR GOVERNMENT: HOW, WHY, WHAT NEXT?
Syrian rebels launched its major offensive on 27 November 2024 under the leadership of Abu Mohammad al-Jolani. He was born Ahmed Hussein al-Sharaa in 1982 in Saudi Arabia. Jolani spent his first seven years in Saudi Arabia, where his father was working as an oil engineer. He then moved to Damascus, the city his grandfather arrived in following Israel’s occupation of Syria’s Golan Heights during six-day war in 1967.
*Rebel’s advances were swift and extremely surprising.
*Erdogan says rebel advance in Syria will continue without incident.
*Syrian Kurdish force chief says ready to dialogue with Türkiye.
*Syrian Kurdish force chief says ready to talks with Hayat Tahrir al-Sham (HTS) of Abu Mohammad al-Jolani.
*Russia urges citizens to leave Syria over difficult military situation.
*Syrian rebel commander Jolani urges top Syrian officers to defect.
#Note: Türkiye, Russia and Iran will meet in Doha over Syria situation on Saturday.
What next?
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Post of 4th December 2024
यह बात बहुत कम लोग जानते होंगें कि 1918 मे सीरिया आखरी मूल्क था जहॉ 400 साल हुकूमत के बाद ओटोमन हुकूमत का आखरी झंडा उतरा था, जिस को ब्रिटिश सरकार ने 97 साल बाद 2015 मे तुर्की को लौटाया है। हम ने वह झंडा तुर्की की राजधानी अनकरा के अतातुर्क के संसद भवन मे 2016 मे देखा और तवारीख जानी।
आज 106 साल बाद तुर्की ने फिर 27 नवम्बर 2024 को सीरियन रेबल्स को ट्रेनिंग देकर सीरिया मे भेजा है जिस ने एक हफ़्ता मे Aleppo, Idlib और Hama क़ब्ज़ा कर लिया और सीरिया के राष्ट्रपति बशार अल असद की फौज बेग़ैर लड़े भाग गई क्योकि असद की फौज 14 साल की लड़ाई से थक चूकी है, ख़ास कर Alawites/शिया इस लड़ाई से तंग आ गये हैं, उन के हर घर का एक-दो बच्चा इस मे मर चूका है।
पुटिन के सलाहकार मॉस्को मे कह रहे हैं कि रेब्ल्स फोर्सेज़, हेयात तहरीर अल शाम (Hayat Tahrir al-Sham) आतंकी नही है बल्कि यह सीरियन नेशनलिस्ट हैं जिन्होंने सीरिया के अल्पसंख्यकों जैसे Alawites, Druze, Kurds, Christians को कहा है कि हम आप के साथ हैं और आप को हम नही मारें गें, न नुक़सान पहुँचायें गें। यही वजह है कि यह तेज़ी से कामयाब हो रहे हैं।
सवाल यह है कि सीरिया मे यह अभी क्यों हुआ जबकि इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के बीच मार-काट चल ही रहा है?
मेरा कहना है कि लेबनान मे जो युद्ध विराम हुआ है, उस मे न इसराइल जीता है, न हिज़्बुल्लाह जीता और न ईरान फ़ातेह हुआ सिर्फ़ हज़ारो लोग मरे हैं और बर्बादी हुई।इसी तरह की बर्बादी यूक्रेन-रूस मार काट मे हुआ है और तीन साल मे रूस की फौज भी थक गई है।राष्ट्रपति पुटिन अब राष्ट्रपति असद को रूसी फौज या जहाज़ से बमबारी कर मद्द नही करे गें।
ईरान भी राष्ट्रपति रईसी के हादसे और नसरूल्लाह के शहादत के बाद संभल नही पाया। ईरान मे इतनी ताक़त नही है कि वह अब अपने proxy को फिर अरब दुनिया में ज़िन्दा रख सके या कर सके।
Tahrir al-Sham (HTS) और तुर्की के Syrian National Army को सिर्फ़ तुर्की का सपोर्ट नही है क्योंकि इन के पास जो Military Dress है वह असद के आर्मी से ज़्यादा अच्छा है और Modern Arms के साथ ड्रोन भी है। मेरा कहना है कि इन को तुर्की के अलावा कोई दूसरा मूल्क भी पुश्तपनाही कर रहा है।
#नोट: चूंकि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की पश्चिमी देशों की सियासत की अर्थी को “ओबामा-ट्रम्प” शमशान घाट पहुँचा चूकें हैं।चीन अब जियोपोलिटिक्स के सेंटर को बदल कर एशिया को केन्द्र बना चूका है, इस वजह कर अब ईरान को अरब देशों मे अपने प्रोक्सीज़ को ख़त्म करना ही होगा और सीरिया मे अमन होगा। हम लोग अब सौ साल बाद एक नई दुनिया देखें गे जो कई शताब्दी रहे गा।
आख़िर मे इक़बाल के नज़्म “इरतक़ा” के शेर जिस का मरकज़ी नुक़ता यह है कि क़ौमें सिर्फ़ जहद मोसलसल (جہد مسلسل) से ज़िन्दा रह सकती हैं:
“کشاکشِ نرم و گرما، تپ و تراش و خراش
زخاکِ تیرہ دروں تابہ شیشۂ حلبی”
اقبال نے اس شعر میں “حلب” یعنی شیشہ کی مثال لا کر “حلبی” کی اصطلاح سے اس کا مزاج کن خمیروں سے ذہن نشیں کرایا ہے۔ شیشہ پختکی کا مزاج پاتا ہے، پہلے یہ مٹی “خاکِ تیرہ دروں” میں رہتا ہے۔ پھر یہ مٹی رفتہ رفتہ نرم یعنی سردی اور گرما یعنی گرمی کی کشمکش سے شیشہ کی شکل اختیار کرتا ہے۔
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