Post of 19th October 2021
दुबई मे विश्व प्रसिद्ध EXPO 2020 मेला चल रहा है।इस वैश्विक मेला को दो लाख से ज्यादा मज़दूरों ने 240 million घंटा काम कर पॉच साल मे विश्व प्रसिद्ध धरोहर बनाया जो सैकडो और हजारो साल बाद भी यादगार रहे गा।
दुबई के मेला प्रभारी ने इंग्लैंड के आर्किटेक्ट आसिफ़ खॉ जिन्होंने मेला का दुबई गेट बनाया है उन को “मज़दूरों का स्मारक” बनाने को कहा जिस मे दो लाख मज़दूरों का नाम लिखा हो ताकि इतिहास मे यह याद रखा जाये कि किन किन लोगो का योगदान रहा नायाब ईमारत और शहर बनाने मे।
आसिफ़ खॉ ने दुबई के जुबली पार्क मे दो मीटर ऊँचे ओमान से लाये गये 38 पत्थर पर हजारो-लाखों मज़दूरों का नाम लिख कर उन का शुक्रिया अदा किया।आसिफ़ खॉ ने कहा मज़दूरों को यह श्रद्धांजलि और खेराजे तहसीन देना आसान काम नही था।हर आदमी के पूरा नाम और सही स्पेलिंग (spelling) लिखा गया है, कोई नाम दो बार नही लिखा जाये यह भी ख़्याल रखा गया है।यह बहुत मोशकिल काम था मगर यह भविष्य के लिये एक ऐतिहासिक यादगार हो गया (लिंक कौमेंट मे पढें)
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हमारे भारत मे जो वर्षो से मोगल और अंग्रेज के बनाये शहर, बंदरगाह, रेलवे स्टेशन, सड़क का नाम पता बदल कर या ताजमहल को शिव मंदिर कहने वाले लोगो के लिये यह दुबई का स्मारक एक बेमिसाल नज़ीर है।
आजादी के बाद 75 साल मे भारत मे सैकडो नाम बदला गया।सम्राट अकबर का बनाया शहर इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयाज्ञराज, अंग्रेजों का बनाया रेलवे स्टेशन मोगल सराय, मद्रास स्टेशन का नाम दिन देयाल या चिन्नई बदल कर गर्व करते और कराते हैं।
दुबई ने पत्थर का यह शांदार स्मारक बना कर भविष्य मे झूठा इतिहास गढ़ने वालो को मूँह अभी ही बंद कर दिया।
https://www.arabnews.com/node/1949366/lifestyle?fbclid=IwAR02bFrx8J-gDCZnzuJHDp8ZBaLIGpfn2c66WaEFQMsEuK20ad4_Dx2cqbM
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Some comments on the Post
Anwar Hussain एक तरफ लोग इतिहास लिख रहे हैं दूसरी तरफ विश्व गुरु अपने ही देश के लोगों को लगातार प्रताड़ित करने में लगा हुआ है इसमें सिर्फ अल्पसंख्यक ही नहीं बल्कि तमाम लोग हैं.
Kamil Khan दुबई के बादशाह ने ये अच्छा काम किया इससे वहां काम करने वाले मजदूरों का नाम भी इतिहास में लिख जायेगा सैकड़ों साल बाद भी इन मजदूरों के पोते पर पोते अपने दादा का नाम उस पत्थर पर देख कर खुद पर गर्व करेंगे.
Firoz Siddiki इतनी जानकारियांआप को पढ़ कर दिल और दिमाग दोनों खुश हो जाता है.
Shehaab Zafer जो नाकारा और कमज़ोर होते हैं वो इतिहास को मिटाने और अपने हिसाब से तहरीफ़ करने का ही काम करते हैं जिन्हें इतिहास बनाना होता है उन्हें तटस्थ रह कर ये काम करना होता है जिस से सभी को उनका जायज़ हक मिल सके। बेहद शुक्रिया इस जानकारी के लिए इन नामों में विनोद नाम से ही इतने मज़दूर हैं कि गिनते गिनते थक जाएंगे मगर खत्म नही होगा।
Mohammed Seemab Zaman आसिफ़ खॉ ने कहा है यह एक लाईबरेरी के तरह है। मिस्र मे देखये वह 7000 साल पुराना इतिहास बचा कर रख रहा है और सब को importance देता है। यहॉ तो इतिहास को मिटाने का रेवाज बना हुआ है। गौतम बुद्ध, अशोक सब को मिटा दिया मगर आज भी अफगानिस्तान मे मौजूद है।
Abdul Bari हमारे यहां कुछ सालो बाद कब्जा ग्रुप इसी पत्थर पर लंगोट बाधकर कब्जा करना शुरू कर देता ।जब तक हम अपने अंदर पाक साफ नही करेगे कुछ नही होने वाला । इसिलिए हमे इतिहास पढ़ाया जाता है कि इतिहास कुछ सीखे लेकिन हम एक कौम 100 सालो से सीख क्या रहे है । अब तो यही गंध पिछले कुछ सालों मे विदेश तक पहुंच गई है ।
Adv Sayyed Abbas Haider सारा कुछ मिस्र से उठाकर यहां चेप दिया हालांकि पिरामिड खुला और पोल भी खुल गई और बोलते हैं मेरी संस्कृति /सभ्यता!जब इतना बड़ा कारनामा कर सकते हैं ये बिल्डिंग तो कुछ भी नहीं!
- Mohammed Seemab Zaman Adv Sayyed Abbas Haider साहेब, आज तो हम को शिव लिंग भी मिस्र के सभायता मे किंग तूतनखामून के पिरामिड से मिला है। शिव जी की मूरती तो है ही, अब शिव लिंग मिल गया। क्या कहा जाये, कुछ समझ मे नही आता है।
Azad Hashmi यही फर्क है इस्लामी हुकूमत और ग़ैर इस्लामी हुकूमत में … मुसलमानों का इतिहास रहा है कि उसने फ़तह के बाद गैर मुस्लिम संस्कृति से छेड़छाड़ नही की न ही न इंसाफी की।
- Mohammed Seemab Zaman सब से अच्छी मिसाल हम लोगो के लिय मिस्र है। वह सब को बचा कर रखे हुआ है। तीन मयूज़ियम बनाया और एक तो दुनिया का सब से बडा बनाया है। आज ही हम ने एक पोस्ट ज़मानियात पर डाला है।
Khursheeid Ahmad किसी भी चीज़ के मालिक और बनवाने वालों का नाम होता है मजदूरों का नाम शाय़द इतिहास में पहली बार लिखा जा रहा हैजो दुबई ने किया वह मजदूरों का नारा लगाने वाले देश सोवियत यूनियन , चीन क्यूबा वगैरह भी नहीं कर पाए
- Mohammed Seemab Zaman हम को भी लगता है यह पहली बार हुआ है। सोवियत यूनियन तो लेलिन का मोजस्समा लगा था और कहता था मज़दूर ज़िंदाबाद। वहॉ हर जगह लेनिन, स्टैलिन ही थे जैसे चीन मे माव।
Mozaffar Haque Excellent token of appreciation and thanks.
बनो गे ख़ुसरो ए अक़्लीम ए दिल, शीरीं ज़ुबाँ हो कर …. “
शाहजहाँनी” करे गी यह अदा “शाह ए जहाँ” हो कर …
अपने शहज़ादे नफ़रत फैलाने में अपना और देश का नाम ऊँचा कर रहे हैं ..
- Mozaffar Haque, Mohammed Seemab Zaman भाई, असल शेर तो यह है अकबर अल्लाहाबादी का कि :
बनो गे ख़ुसरो ए अक़्लीम ए दिल शीरीं ज़ुबाँ हो कर …
जहांगीरी करेगी यह अदा नूर ए जहाँ हो कर …
मैं ने थोड़ा चेंज कर के शाह जहाँ के दिया, तामीरी काम की मुनासबत से .
Syed Asman Mustafa Kazmi इतिहास हमेशा से कॉम्पलेक्स इश्यू रहा है इस मे न्यूट्रल रहकर ही इसके साथ इंसाफ़ किया जा सकता है ,अरब और तुर्क इस मामले में लाजवाब हैं वो हमेशा इतिहास के मामले में न्यूट्रल रहे हैं
- Mohammed Seemab Zaman जनाब, इतिहास को कैसे बचाया जाता है इस का ज़िंदा मिसाल आज मिस्र मे दुनिया का सब से बडा मयूज़ियम बना कर 7000 साल पुराने शिव जी की मूर्ती और शिव लिंग को देखाया जा रहा है। क्या यहॉ जो लोग नाम-पता बदल रहे हैं उन को यह नजर नही आ रहा है.
Shahid Samad Chor jab logon ki car ya koi dusri vehicle chori karte hain to sabse pahle uska No. plate badalte hain phir rishwat dekar apne naam ka jali paper banate hain, theek aisa hi kuch hamari purani yadgar Imarten ya Shahar hain jinka naam motor choron ki tarah badal kar apne naam karne ki koshish horahi hai. Yeh unka inferiority complex bhi hai.
- Shambhu Kumar बौद्धिक हीनता