Post of 30th March 2022
हम हमेशा लिखते आये हैं कि 1973 के अरब-इस्राईल जंग के बाद मुस्लिम देश 1876 के बाद फिर अपने पैर पर खडे होने लगे क्योकि सऊदी अरब के शाह फैसल ने इस्राईल के सपोर्ट करने वाले देशो को तेल व्यापार-प्रतिरोध (oil embargo) लगा दिया और तेल का दाम 378 गुणा बढ गया और यूरोप की तरक्की पर रोक लग गया और चीन, मिडिल ईस्ट का उदय शुरू हुआ।
मंगलवार को ब्रिटेन को रिज़र्व बैंक के गवर्नर एंड्रयू बेली ने कहा है कि ब्रिटेन 1973 के बाद इस साल उर्जा संकट दोबारा झेल रहा है।उन्होने ने कहा है यह साल ब्रिटेन के लोगो के आमदनी मे ऐतिहासिक गिरावट होगा क्यो कि तेल और गैस के दाम बढ़ने से महगाई बेतहाशा बढ़ेगी।
आज स्पेन मे लोग तेल के बढते दाम के कारण रोड पर निकल पर प्रदर्शन और विरोध कर रहे हैं।फ्रांस मे लोग मैकरौन के चुनाव सभा मे तेल के बढते दाम के कारण नारा लगा रहे हैं।यह तेल और उर्जा संकट अब जर्मनी और दूसरे यूरोपियन देशो मे गंभीर संकट पैदा करे गा।
ओपेक के देश अमेरिका और यूरोप के मानवधिकार के दोहरे नीति का अफगानिस्तान, सिरिया, इराक़, यमन, लिबिया, फलस्तीन, माली, निजेर आदि इत्यादि के कारण “तेल तथा उर्जा संकट” पैदा करते मगर रूस-यूक्रेन लडाई ने 1973 के तेल संकट पैदा कर दिया। एक महीना से ज्यादा हो गया तेल का दाम $108-123 के बीच है और गैस का दाम दुगना हो गया।
मेरा अपना अनुमान है कि अमेरिका, चीन और जापान के अर्थव्यवस्था पर बहुत खराब असर नही पडे गा मगर यूरोप पर इस का बहुत बूरा असर पडे गा।
एशिया का युग शुरू हो गया जिस मे अब सेन्ट्रल एशिया के देश उभर कर सामने आयें गें।आज चीन मे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान, रूस, टर्कमनिस्तान, उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान के विदेशमंत्री दो दिन के लिए अफगानिस्तान मे TAPI गैस पाईपलाईन तथा दूसरे क्षेत्र मे निवेश पर फैसला लें गें।
अभी हम लोग अपने भटकती आत्मा पर फिल्म बना कर अपने सौ साल की सोंच के योजना को साकार कर क्रियात्मक करने मे लगें हैं।कुछ दिन और सबर कर लिजये, यह उर्जा संकट और हिमालय मे बर्फ का पिघलना निश्चित सोंच बदलने पर मजबूर करे गा और फिर सुंदर भारत बने गा।