कल कोवैत के अमीर शेख सबाह का इंतक़ाल हो गया। यह 1963 से 2006 तक कोवैत के विदेश मंत्री रहे थे और 2006 मे यह कोवैत के अमीर बने। कोवैत दुनिया मे तेल और गैस के ज़ख़ीरा मे छँटेंगे नंबर का देश है।
भारत मे लोग को शायद नही मालूम हो यह वही शक्स हैं जिन्होंने 1970s के दशक मे भारतीय लोगो को अरब दुनिया मे सब से पहले मोटी सैलेरी पर नौकरी दिया था और भारत मे इंजिनयर और डाक्टर सरकारी नौकरी से त्याग पत्र दे कर कोवैत नौकरी करने चले गये थे।1991 मे कोवैत-इराक़ लड़ाई के बाद भारतीय विस्थापित लोगो को कोवैत ने compensation भी दिया था। सत्तर के दशक मे ईरान और कोवैत ही भारत मे विदेशी मुद्रा का अहम ज़रिया था और इन्ही देशो के तेल से धीरूभाई अंबानी की सिंथेटिक कपड़े का विदेश मे निर्यात हुआ।
कल से दुनिया के नेताओ और शेख सबाह के दोस्तों का बहुत सारा शोक संदेश आया और आज दुनिया के अखबार मे छपा। मगर सब से अच्छा और चौंकाने वाला कल हम ने यूएनओ के चीफ का संदेश अंतरराष्ट्रीय टीवी पर रात मे सूना:
UN Secretary General Antonio Guterres said “I am deeply moved by the information I just received of passing of his highness, the Emir of Kuwait”. “The Emir of Kuwait was an extraordinary symbol of wisdom and generosity, a messenger of peace, a bridge builder”.
Guterres said “when I was UN High Commissioner for Refugees for 10 years, I witnessed Emir Sabah initiative and his leadership in some of the most important humanitarian actions in the world”. “I will never forget as a High Commissioner his contribution”.
कल यह बात एंटोनिव गुट्रेस ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस टरूडो और जमाईका के प्रधानमंत्री ऐनडरू होलनेस के साथ बैठे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बीच अखबार वालो को कही जो टेलिकास्ट हुआ।
(My Post on Facebook on 30th September 2020)