Post of 12 November 2022
Saudi Arabia Energy Minister Prince Abdulaziz bin Salman said on the sidelines of the COP27 at Sharm el-Sheikh that “the world is hoping to crucify Saudi Arabia” as a top exporter of oil.
Instead, “Saudi Arabia would be holding the rest of the world to account by closely monitoring other countries’ renewable energy promises,” he said.
“We want people to match us, and we want to make sure people put their money where their mouths are.”
Abdulaziz said Saudi Arabia’s Aramco had the lowest methane emissions and its hydrogen using renewable energy has the lowest cost by any measures.
“We want to showcase ourselves as an energy exporting country, because we will be working hard in exporting hydrogen along with oil and liquid gases. We will hopefully be doing electricity too.”
#Note: I have never heard this type of words from any Saudi/GCC Ministers in public. For the last two years Saudi Arabia and oil producing countries faced many pressures in the name of “Climate Change” but now dice has turned in favour of OPEC.
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SAUDI ARABIA MINISTER SAID AT COP27 “THE WORLD WAS HOPING TO CRUCIFY SAUDI ARABIA”: BUT FAILED
सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअज़ीज़ बिन सलमान ने COP27 मे मौजूद Climate Change पर रोने-गाने वाले लोगो को कहा कि दुनिया के सब से बडे तेल निर्यातक देश सऊदी अरब को कार्बन प्रदूषण के नाम पर “दुनिया सूली पर चढ़ाने की उम्मीद कर रही है” मगर अब दाव उलटा पड गया।
प्रिंस अब्दुलअज़ीज़ ने कहा कि दुनिया की 14 बडी कार्बन उत्सर्जक (carbon emitters) कम्पनी अमेरिका और रूस की तेल और गैस कम्पनी है। सऊदी अरब की तेल कम्पनी Aramco में सबसे कम मीथेन तथा कार्बन उत्सर्जन होता है तथा सऊदी अरब फॉसिल फ़्यूल (Fossil Fuel) उपयोग कर दुनिया मे सब से सस्ता हाइड्रोजन का उत्पादन करता है।
प्रिंस ने कहा अब समय आ गया है कि सऊदी अरब अन्य देशों के स्वच्छ ऊर्जा (clean energy) के किये गये वादों की बारीकी से निगरानी कर यह सुनिश्चित करना चाहे गा कि शेष दुनिया हम से मेल खाएँ।अब समय आ गया है दुनिया कार्बन उत्सर्जन पर धाराप्रवाह भाषण बंद करे और कार्बन उत्सर्जन रोकने पर पैसा लगाये।
प्रिंस अब्दुलअज़ीज़ ने कहा “सऊदी अरब खुद को एक बडा ऊर्जा निर्यातक देश के रूप में प्रदर्शित करना चाहता है, क्योंकि हम तेल और तरल गैस (LNG) के साथ हाइड्रोजन के निर्यात में कड़ी मेहनत कर सफल होते नज़र आ रहे हैं।हम उम्मीद करते हैं कि हम बिजली भी पैदा कर निर्यात करें गें।”
#नोट: मैं ने सार्वजनिक रूप से किसी सऊदी अरब या GCC मंत्री से इस प्रकार के शब्द कभी नहीं सुना है।पिछले दो वर्षों से सऊदी अरब और तेल उत्पादक देशों (OPEC+) को “जलवायु परिवर्तन” के नाम पर दबाव बना कर डराने की कोशीश की जा रही थी मगर अब पासा ओपेक के पक्ष में हो गया है।दुनिया बदल गई है यह “Asian Moment” के आने की दस्तक है।अब अगला दस साल सेन्ट्रल एशिया के देश तथा OTS पर नजर रखिये गा।