Post of 23 December 2022

2022 इतिहास में यह एक ऐसा साल था जिसने पश्चिमी दुनिया के घमंड को तोड़ दिया और जिस ने WWII के बाद सत्तर साल पुरानी दुनिया को बदल दिया।

पिछले तीस साल, 1990 में सोवियत संघ के टूटने के बाद से पश्चिमी दुनिया (अमेरिका और यूरोप) बहुत घमंडी (arrogant) हो गई थी।उसी घमंड में पश्चिमी दुनिया ने ईराक़, अफ़ग़ानिस्तान को तबाह बर्बाद किया, फिर अरब स्प्रिंग कर अरब दुनिया जैसे लिबिया, मिस्र, सीरिया, यमन वग़ैरह को तबाह बर्बाद किया और अलक़ायदा को ख़त्म करने का नाटक कर ISIS एक नया आतंकी संगठन बना दिया।

इसी तीस साल में चाईनीज़ क़ौम ने अपने मूल्क को एक साधारण देश से एक आर्थिक एंव शक्तिशाली देश बना कर दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया।

पिछले पंद्रह साल में दुनिया ने 2007-09 की मंदी और कोरोना को झेला।मगर सब से बड़ी चीज़ फ़ौल ऑफ काबुल (2021) ने पश्चिमी देशों के ताक़त को धूल चटा कर आश्चर्यचकित कर दिया।फ़ौल ऑफ काबुल के नतीजा को देख कर 24 फ़रवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर पश्चिमी दुनिया के तीस साल के घमंड़ को चकनाचूर कर दिया।

यूक्रेन लड़ाई यूरोप के लिए एक अग्निपरीक्षा है।2022 यूरोप के लिए वैसा ही साल था जैसा तुर्काने उस्मानी (तुर्कियों) के लिए 1923 था।

मगर 2022, चीन व अरब और तुर्काने उस्मानी के लिए राहत थी, एक नई रोशनी थी, एक नये युग की शुरूआत है।

#नोट: 2021 का फौल ऑफ काबुल, इस सदी का एक मुअज्ज़ह था, एक करामत है।इस पोस्ट को इक़बाल के शेर के एक मिसरह पर ख़त्म करते हैं,

“بے معجزہ دنیا میں ابھرتی نہیں قومیں”

“बे मुअज्ज़ह दुनिया मे उभरती नही क़ौमे”
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Some comments of the Post

Mohammed Seemab Zaman फौल ऑफ काबुल एक मुअज्ज़ह है जो कोई खास क़ौम को वह हुनर हासिल रहा है। इक़बाल ने तक़रीबन सौ साल पहले यह शेर कहा था,

بے معجزہ دنیا میں ابھرتی نہیں قومیں
جو ضرب کلیمی نہیں رکھتا وہ ھنر کیا

Ataur Rehman

اے اہلِ نظر ذوقِ نظر خُوب ہے لیکن
جو شے کی حقیقت کو نہ دیکھے، وہ نظر کیا

  • Mohammed Seemab Zaman بہت بہت شکریہ-اقبال کے شعر کے “ضرب کلیمی” کا تو ہم نے معنی نہیں لکھا

Athar Ali Khan

بے معجزہ دنیا میں اُبھرتی نہیں قو میں
جو ضربِ کلیمی نہیں رکھتا، وہ ہنر کیا

معانی: بے معجزہ:بغیر معجزہ کے، بغیر اعجاز کے ۔ ابھرتی نہیں : ترقی نہیں کرتیں ۔ ضرب کلیمی: کلیم حضرت موسیٰ علیہ السلام کا لقب ہے کیونکہ وہ خدا سے ہم کلام ہوتے تھے ۔

مطلب: جس طرح معجزہ کو عقل نہیں سمجھ سکتی اور وہ عام قانون، اصول اور ڈگر سے ہٹ کر ہوتا ہے اسی طرح دنیا میں جب کوئی قوم ترقی کرنے پر آتی ہے تو اس کے افراد بھی ایسے کارنامے سرانجام دیتے ہیں جو معجزہ سے کم نہیں ہوتے اسی طرح جس ہنر میں ضرب کلیمی جیسا معجزہ نہ ہو جو ہنر اپنے قاریوں اور نظارگیوں کے دلوں میں اور ان کی زندگیوں میں اسی طرح کا انقلاب پیدا نہ کر دے جو حضرت موسیٰ کلیم اللہ نے اپنے عصا کی ضرب سے کیا تھا کہ کہیں چشمے پھوٹ پڑتے تھے اور کہیں دریا نیل دولخت ہو گیا تھا وہ ہنر بے کار ہے ۔

  • Mohammed Seemab Zaman اس شعر میں ضرب کلیمی کا عصا کے ضرب سے کوئ تعلق نہیں ہے-اقبال،کے کلام میں عصا پر ” چوب کلیم” کے اصطلاح سے کئ شعر ہے-محمد بدیع الزماں صاحب نے اقبال کے کلام میں “کلیم (موسی) پر 8 اصطلاح پر الگ